शरीर के हर एक अंग के लिए आभूषण इस श्रृंगार में होता है। हर एक आभूषण के एक्यूप्रेसर प्रणाली से शरीर के रोगों का इलाज भी होता है। चूड़ियां रक्त संचार को बेहतर बनाती हैं। थकान मिटती है उर्जा का संचार होता है। खासकर शंख, चांदी और तांबे की चूड़ियां जिनका उल्लेख इतिहास में मिलता है।
न्यूज डेस्क। सावन का महीना 11 जुलाई से शुरु होने वाला है। भोले बाबा के जयकारे, कावड़ यात्रा और तीज के मेले और झूलों के बीच सावन का माहौल देखने लायक होता है। भारतीय संस्कृति में नारी की सुंदरता और उसके श्रृंगार के लिए काफी खूबसूरत परिभाषाएं हैं। इनमें 16 श्रृंगार का सबसे अधिक महत्व है, जिसे करना सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए, जानें इस 16 श्रृंगार का क्या महत्व है!

महत्व
ऽ 16 श्रृंगार विवाहित महिलाओं के लिए सौभाग्य और सुहाग का प्रतीक माना जाता है।
ऽ सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है, और 16 श्रृंगार करके पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं।
ऽ 16 श्रृंगार से महिलाओं का आकर्षण और बढ़ जाता है।
ऽ पति की आयु वृद्धि होती है।
ऽ इसे चंद्रमा के 16 चक्रों का अनुरूप माना जाता है। इसे मासिक धर्म से जोड़ा जाता है। यह मासिक चक्र के नकारात्मक प्रभावों का प्रतिकार करता है।
समृद्धि
16 श्रृंगार को घर में सुख और समृद्धि आती है। 16 श्रृंगार का उल्लेख पौराणिक कथाओं में भी मिलता है, जहां देवी-देवताओं को भी इसी तरह से सजाया जाता था। ऋग्वेद में भी इसे भाग्य और सुंदरता बढ़ाने वाला बताया गया है।
ये हैं 16 श्रृंगार
यूं तो हर प्रांत के हिसाब से 16 श्रृंगार में कुछ चीजें थोड़ी अलग हो जाती हैं, लेकिन कुछ श्रृंगार सामग्रियां एक जैसी ही होती हैं। मेहंदी, सिंदूर, चूड़ियां, काजल, बिंदी, गजरा, मांग टीका, पायल, नथ, हार, अंगूठी, कमरबंध, बिछिया, अंगूठी, मंगलसूत्र, कानों के झुमके कर्णफूल, हार, बाजूबंध, आरसी यानि छोटा शीशा, महावर यानि आलता, इत्र, चूणामणि, लाल कपड़े सूती या रेशमी।

वैज्ञानिक महत्व
16 श्रृंगार आपके मन को प्रसन्नचित करता है। खुद को सुंदर और अच्छा देखकर महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ता है। महिलाओं के प्रसन्नचित होने से परिवार में खुशहाली बढ़ती है। शरीर के हर एक अंग के लिए आभूषण इस श्रृंगार में होता है। हर एक आभूषण के एक्यूप्रेसर प्रणाली से शरीर के रोगों का इलाज भी होता है। नाक की नथ जिस जगह पर पहनी जाती है वो भी एक तरह का एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है जो बच्चै पैदा करने के दर्द को कम करता है।

माथा यानि आज्ञाचक्र में लगी बिंदी कांसन्ट्रेशन को बढ़ती है। दिमाग को शांत रखती है। सिंदूर में सम्मिलित पारा मस्तिस्क ब्रम्हरंध्र को शांत करता है। हार गले में हार्मोन्स के संतुलन को बनाए रखते हैं।

बाजूबंद यौवन बढ़ानें वाली ग्रंथियों का संतुलन बनाते हैं। कान की बाली किडनी और ब्लडर को स्वस्थ रखती है।

पैरों की पायल घुटनों के दर्द और ऐड़ियों के दर्द में राहत दिलाती है। मेहंदी से हाथों की त्वचा चर्म रोग से बचती है। कमरबंद हार्निया को दूर करता है पेट कम करता है।

चूड़ियां रक्त संचार को बेहतर बनाती हैं। थकान मिटती है उर्जा का संचार होता है। खासकर शंख, चांदी और तांबे की चूड़ियां जिनका उल्लेख इतिहास में मिलता है। काजल आंखों के रोग से बचाता है।

बिछिया तो और भी महत्वपूर्ण है यह हमारे शरीर की साइटिक नर्व की नस को दबाती है। इससे हमारे शरीर के गर्भाशय, ब्लडर, आंतों में रक्त प्रवाह सही होता है। तनाव कम होता है। अंगूठी आलस को दूर करता है।
