न्यूज डेस्क। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आज बड़ी धूमधाम से निकाली जा रही है। हर वर्ष की तरह आज भी लाल और पीले रंग के रथ में भगवान राजसी ठाठ-बाट के साथ नगर भ्रमण को निकले हैं। नगर भ्रमण कर नाथ अपनी मासी के घर गुडिंचा मंडप पहुंचेंगे, जहां ढेरों व्यंजनों के साथ मासी आपने लाला पर प्यार लुटाएंगी। आइए आपको बताते हैं कि जिस ठाठ के साथ प्रभु का जो रथ पुरी नगरी पर डोलता है उसकी महिमा क्या है!
भगवान जगन्नाथ के इस रथ का नाम है, नंदीघोष। नाम से ही जिस रथ की महिमा और शक्ति का भान हो जाता है उस नंदीघोष रथ की हमारे शास्त्रों में भी विशेष महिमा है और इसका संबंध है त्रेता युग से।
त्रेतायुग में जब भगवान राम और रावण का युद्ध हो रहा था। तो इंद्र देव ने भगवान राम की सहायता के लिए उन्हें एक रथ दिया था, लेकिन रावण की शक्ति के आगे उनका रथ कार्य नहीं कर पा रहा था।
तब भगवान शंकर ने नंदी को रथ का भार संभालने का आदेश दिया। नंदी के आगे बड़े से बड़े पराक्रमी भी हार मान लेते हैं। उनका भार संभालने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र को आदेश दिया। इंद्र के इस रथ में नंदी और सुदर्शन चक्र की अपार शक्ति के मेल से यह रथ नंदीघोष कहलाया। इस रथ से रावण की आधी से ज्यादा सेना युद्ध में परास्त हो गयी।


आज आप पुरी में जो लाल और पीले रंग के 45.6 फीट उंचे रथ को देखते हैं। उसका नाम भी नंदीघोष है। 16 पहियों वाला यह रथ मानव जीवन के 16 पहलुओं का संदेश देता है। इस रथ के निर्माण में 832 पीस लकड़ियों की इस्तेमाल होता है। रथ में एक ओर आप गरुढ़ महाराज को भी देख सकते हैं। इसके अलावा रथ की ध्वजा का नाम त्रिलोकस्वामिनी है।
रथ के आगे जो 4 सफेद रंग की लकड़ी के घोड़े दिखाई देते हैं, उनके नाम शंख, बालाहक, हरिदास, स्वेत हैं। दारूका इसका सारथी है। रथ की रस्सी को शंखचूड़ा, वराह, गोवर्धन, कृष्णा कहा जाता है। माना जाता है कि इस रस्सी के स्पर्श मात्र से मनुष्य के जन्म-जन्मातंर तर जाते हैं । इसीलिए जब रथयात्रा निकलती है तो लाखों की भीड़ में भक्त भगवान जगन्नाथ की एक झलक, उनके रथ या रस्सी मात्र के स्पर्श के लिए ललायित दिखाई देते हैं।

By Pooja Patel

प्रोड्यूसर एंड सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप हैदराबाद, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, भास्कर भूमि, राजस्थान पत्रिका में 14 वर्ष का कार्यानुभव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *