अजमेर( एजेंसी)। अजमेर शरीफ दरगाह पर मंदिर होने के दावे को लेकर उठे विवाद पर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज और उत्तराधिकारी सैयद नशरूद्दीन चिश्ती ने बयान दिया है। उन्होंने कहा है, “इस तरह के दावे देशहित में नहीं हैं। यह मामला अभी न्यायिक प्रक्रिया में है और हमारी तरफ से वकील इस मामले को देख रहे हैं। हमें पूरा विश्वास है कि न्यायालय इस मामले में न्याय करेगा। आजकल हर कोई उठकर आ रहा है और दरगाह और मस्जिदों में मंदिर बता रहा है। यह परिपाटी बिल्कुल गलत है।”

चिश्ती ने अजमेर दरगाह के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा, “अजमेर दरगाह 850 साल पुरानी है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती 1195 में हिंदुस्तान आए थे और 1236 में उनकी मृत्यु हुई। यह दरगाह सिर्फ हिंदुस्तानी नहीं, बल्कि दुनिया के तमाम मुसलमानों के साथ-साथ अन्य धर्मों का भी आस्था का केंद्र रही है। सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए कुछ लोग ऐसे दावे करते हैं जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं। संभल में भी जो घटना हुई बहुत दुर्भाग्यपूर्ण थी। मैं केंद्र सरकार से दरखास्त करता हूं कि ऐसे लोगों पर लगाम लगाने के लिए कानून लाया जाए।”

चिश्ती ने कहा, “पुराने विवादों पर तो विचार किया जा सकता है लेकिन नए विवाद खड़े करने से समाज और देश का नुकसान होता है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *