समाचार डेस्क- हर माह के त्रयोदशी को प्रदोष कहा जाता है। यह व्रत हर मास की कृष्ण और शुक्ल पक्ष में आने वाली त्रयोदशी तिथि को आता है.यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है।इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की प्रदोष काल यानी गोधूलि बेला में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
सावन माह के प्रदोष का महत्व
सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति में समरपित होता है.ऐसे में सावन मास में आने वाले प्रदोष व्रत की धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता और भी बढ़ जाती है।
भौम प्रदोष व्रत
धार्मिक मान्यता है कि मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहा जाता है।इस व्रत को करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के साथ सभी प्रकार के संकटों से भी मुक्ति मिलती है।
क्यो कहा जाता है प्रदोष
पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा को क्षय रोग हो गया था, जिससे उन्हें मृत्यु तुल्य कष्ट हो रहा था. भगवान शिव ने त्रयोदशी के दिन चंद्रमा को इस रोग से मुक्त किया था, इसलिए इस दिन को ‘प्रदोष’ कहा जाने लगा और भगवान शिव की पूजा की जाने लगी.
