News Desk| देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है। इस माह में सभी तरह के शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। हिन्दु धर्म में कई संतों एवं परिवारों द्वारा चातुर्मास का पालन किया जाता है। इसके नियम थोड़े कठोर जरूर है पर प्रकृति और वैज्ञानिक आधार पर यह मौसम और शरीर के सामंजस्य को देखकर बनाए गए हैं।
इस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में लीन होते हैं इस मास में पूजा पाठ का काफी महत्व होता है। चातुर्मास का प्रारंभ आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से होता है। यानि आज से चातुर्मास प्रारंभ हो चुका है।

चातुर्मास पालन
चातुर्मास में पूजा प्रार्थना, सत्संग, दान, तर्पण ब्रह्मचर्य का पालन करें।
सूर्योदय से पहले स्नान, भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करना चाहिए और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए
सात्विक भोजन करें, तामसिक भोजन का त्याग करें।
अन्न दान, दीपदान, वस्त्रदान, छाया दान करें।
मौन व्रत का पालन करें।
ब्रज की यात्रा करें ऐसा कहा जाता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु ब्रज में आते हैं।
लाल, नारंगी, पीले वस्त्र पहनें

न करें ये काम
विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन आदि 16 संस्कार करना वर्जित माना जाता है।
नीले और काले रंग न पहनें
चुगली, बुराई से बचें, झूठ न बोलें।
क्रोध अहंकार न करें।
ऐसे करते हैं पालन
शास्त्रों अनुसार कई योगी संत, महिलाएं एवं पुरूष चातुर्मास का नियम पूर्वक पालन करते हैं।
इस दौरान वह तेल, भात दही, पत्तेदार सब्जी, बैंगन का सेवन नहीं करते।
दिन में एक बार ही भोजन करते हैं।
सूर्यास्त के बाद चार्तुमास में अन्न ग्रहण को सही नहीं माना गया है।
जमीन पर सोते हैं।
चार माह बाल और दाढ़ी नहीं कटवाते। चातुर्मास का पालन काफी कठिन है इसलिए यदि आप इसे पालन कर सकते हैं तभी इस तप को करें।
विभिन्न पौराणिक कथाएं
एक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने राजा बलि को वचन दिया था कि वे आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से कार्तिक मास की देवोत्थान एकादशी तक पाताल लोक में रहेंगे।
एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने शंखचूड़ नामक असुर से युद्ध किया था, जिसमें वे थक गए थे। देवताओं ने उनसे विश्राम करने का अनुरोध किया, जिसके बाद वे योग निद्रा में चले गए।
भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर शयन करते हैं, जो ब्रह्मांड के रक्षक माने जाते हैं।
चातुर्मास और भगवान राम
चातुर्मास और भगवान राम का गहरा संबंध है। 14 साल के वनवास के दौरान, भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने रायसेन जिले में एक स्थान पर चातुर्मास बिताया था। यहाँ एक बड़ी चट्टान के नीचे वे रुके थे, जिसे ष्राम छतरीष् के नाम से जाना जाता है। यह भी माना जाता है कि भगवान विष्णु के शयनकाल के दौरान, चातुर्मास में भगवान राम की पूजा करना शुभ होता है।

चातुर्मास देवी लक्ष्मी
चातुर्मास में देवी लक्ष्मी की कृपा भी जमकर बरसती हैं। इस मास में श्रावण के आखिरी शुक्रवार को वर लक्ष्मी व्रत करने से देवी प्रसन्न होती है। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। माना जाता है कि चातुर्मास में पलाश के पत्तों में भोजन करने से भी देवी लक्ष्मी कृपा होती है इसमें भोजन करना सोने की थाली में भोजन करने के समान माना गया है। यदि आप वैभव लक्ष्मी व्रत करना चाहते हैं तो इसी मास में व्रत प्रारंभ करना बहुत शुभ माना जाता है।
