न्यूज डेस्क। घोड़ा-गाड़ी, मोटर-कार नहीं, बैलगाड़ी की बारात का क्रेज हैं। देशभर में दूल्हे अपनी बारात अब बैलगाड़ी से निकालना पंसद कर रहे हैं। हम आपको जिस दूल्हे के बारे में बता हैं इनकी बारात तो और भी स्पेशल रही है। यहां डीजे और फिल्मी गानों की धुन नहीं, बांसुरी और ढपली की आवाज ने मन मोह लिया। इस खूबसूरत बारात को जिसने देखा सभी ने इसकी तारीफ की।
यह बारात मध्य-प्रदेश के बालाघाट के आगरवाड़ से खड़गपुर तक बिल्कुल देशी अंदाज में 10 किलोमीटर निकाली गई। दूल्हे निलेश ठाकुर का कहना है कि उसे कुछ अलग करना था और उसके मां-पिता की शादी भी इसी तरह हुई थी इसीलिए अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए उसने ऐसा किया। इस बारात में करीब 12 बैलगाड़ियां बारात लेकर पहुंची थीं। रंग-बिरंगे कपड़ों से सजी बैलगाड़ी में बैठे बारातियों को देखने गांव वाली की भीड़ लग गई।


बढ़ रहा है बैलगाड़ी से बारात निकालने का क्रेज
इससे पहले छत्तीसगढ़ के कांकेर में गोड़वाना समाज के युवक, बालोद के युवक ने, मध्य-प्रदेश के झबुआ में, महाराष्ट्र के अमरावती के शिराजगांव में, उत्तरी गुजरात के मोडासा तालुका के इसरी गांव में भाटिया परिवार ने, मध्य-प्रदेश के धार गांव के पडियाल में, राजस्थान के जालौर के कूड़ा गांव में, उत्तर-प्रदेश के बांदा में, यूपी के देवरिया में तो 50 बैलगाड़ियों से बारात निकाली गई थी। राजस्थान के दौसा, राजस्थान के धार में सिंह परिवार के दूल्हे अपनी बारात बैलगाड़ी में निकाल चुके हैं। बैलगाड़ी क्रेज कहीं न कहीं युवाओं को पुराने संस्कृतियों को जिंदा रखने और उनका सम्मान करने की ओर आगे ला रहा है। युवाओं के ऐसे कदम की समाज में प्रशंसा की जा रही है।


सोना नहीं चांदी
कुछ युवा तो अपने पूर्वजों की परंपरा का पालन करते हुए सोने के बजाय चांदी के आभूषण। शेरवानी की जगह सफेद कमीज और धोती-शाफा पहनकर बारात निकाल रहे हैं। यही नहीं दूल्हे की तरफ से दुल्हन को महंगे लहंगांे की जगह सादी साड़ियां भेंट की जा रही हैं।

By Pooja Patel

प्रोड्यूसर एंड सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप हैदराबाद, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, भास्कर भूमि, राजस्थान पत्रिका में 14 वर्ष का कार्यानुभव

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