नई दिल्ली (भाषा)। सरकार ने ओटीटी मंचों को आगाह किया है कि यदि वे ऐसी सामग्री प्रसारित करते हुए पाए गए जो मुख्य पात्र और अन्य अभिनेताओं के माध्यम से नशीले पदार्थों के उपयोग को अनजाने में बढ़ावा देती है या उन्हें महिमामंडित करती है तो उनके खिलाफ नियामक संबंधी जांच की जाएगी।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ओटीटी मंचों के लिए जारी किए गए परामर्श में कहा, ‘‘इस तरह के चित्रण के, खासकर युवा और संवेदनशील दर्शकों पर संभावित प्रभाव के मद्देनजर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक एडवाइजरी लागू की गई थी जिसके तहत कोर्ट ने सरकार को नशीले पदार्थों के उपयोग पर लगाम लगाने के लिए उचित कार्रवाई करने की बात कही थी। माना जा रहा है कि सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम इसी आदेश के पालन में की जा रही प्रक्रिया है।
अदालत ने यह भी कहा कि नशीले पदार्थों का इस्तेमाल व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को कमजोर करता है, जिससे वह डिप्रेशन, अकेलेपन और अपराध की ओर बढ़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने युवाओं से अपील की कि वे इस घातक लत से दूर रहें और अपने जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में काम करें। अदालत ने सरकार और समाज से भी आग्रह किया कि इस समस्या को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं और सख्त कदम उठाए।
ड्रग वॉर डिस्टॉर्शन और वर्डोमीटर की रिपोर्ट के अनुसार, देश में अवैध नशे के कारोबार का मूल्य 30 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट रिपोर्ट के मुताबिक, 10 से 75 साल की उम्र के लगभग 20 प्रतिशत भारतीय किसी न किसी प्रकार के नशे के आदी हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2017 में वैश्विक गांजे की 10 प्रतिशत खपत हुई। ग्लोबल ड्रग रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत मॉर्फीन की तीसरी सबसे बड़ी खेप होने का अनुमान है और अफीम की जब्ती में चौथे स्थान पर है। यही वजह है कि देश में नशीले पदार्थों पर रोक लगाने के लिए सरकार अब कड़े कदम उठा रही है।