नई दिल्ली ( डेस्क न्यूज़)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीतकालिन सत्र से पहले संसद को संबोधित किया । उन्होंने कहा, “शीतकालिन सत्र की शुरुआत हो रही है। उम्मीद है माहौल भी शीत रहेगा। पीएम मोदी ने कहा कि संसद का ये सत्र कई मामलों में विशेष है। सबसे बड़ी बात है कि हमारे संविधान की यात्रा का 75वें साल में प्रवेश अपने आप में लोकतंत्र के लिए एक बहुत ही उज्जवल अवसर है। हम चाहते हैं कि संसद में स्वस्थ्य चर्चा हो, ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा में योगदान दें।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, जिनको जनता ने नकार दिया है, ये मुट्ठी भर लोग संसद में हुड़दंगई करना चाहते हैं। संसद को कंट्रोल करने का प्रयास करते हैं। वो संसद में चर्चा नहीं होने देते। लोगों की आकांक्षाओं को नहीं समझते, वो जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते लिहाजा जनता बार-बार उन्हें रिजेक्ट करती है।”
पीएम मोदी ने कहा, “ उनका अपना मकसद तो संसद की गतिविधियों को रोकने से ज्यादा सफल नहीं होता, लेकिन देश की जनता उनके इस व्यवहार को काउंट करती है और जब समय आता है तो सजा भी देती है। दुख की बात ये है कि नए संसद नए विचार और ऊर्जा लेकर आते हैं। उनके अधिकारों को कुछ लोग दबोच देते हैं। इन्हें बोलने का अवसर नहीं मिलता। हमें जनता जनार्दन की भावनाओं की आदर करना चाहिए। विपक्ष के साथियों से बार-बार आग्रह करता हूं, कुछ विपक्षी नेताओं की इच्छा रहती है सदन में चर्चा हो, लेकिन जिन्हें जनता ने नकार दिया वो उनकी भावनाओं को नहीं समझते। सभी दल में नए साथी हैं उनके नए विचार हैं। आज विश्व भारत की ओर बहुत आशा से देख रहा है। सदन का समय उसको बल प्रदान करने वाला होना चाहिए। भारत की संसद से ये संदेश जाना चाहिए कि भारत के मतदाता, उनका लोकतंत्र के प्रति समर्पण हम सबको जनता की भावनाओं पर खरा उतरना ही पड़ेगा। हमने जितना समय गवां दिया उसपर थोड़ा पश्चाताप करें। मैं आशा करता हूं ये सत्र परिणाम करी हो। भारत की वैश्विक गरिमा को बल देने वाला हो। संविधान की गरिमा को बढ़ाने वाला हो, नए ऊर्जा को समाहित करने वाला हो।”