भोपाल। कफ सिरप अब देश के राज्यों में लोगों की जान लेता जा रहा है। तमिलनाडु में कफ सिरप की वजह से हुई बच्चों की मौत के बाद इसे बैन कर दिया गया। अब राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी कफ सिरप की वजह से बच्चों की मौत हो चुकी है वही कई बच्चे आईसीयू में है। कफ सिरप की जांच के बाद अब मध्य प्रदेश की सरकार गंभीर मोड पर है। सरकार ने कोल्ड्रिफ सिरप की ब्रिकी पर रोक लगा दी है। लेकिन सरकार ने इस कफ सिरप को जहरीला नहीं बताया है।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा, ‘छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ सिरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु दुखद है। इस सिरप की बिक्री को पूरे राज्य में बैन कर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय के अनुसार, मध्य प्रदेश में कफ सिरप की गुणवत्ता को लेकर जांच जारी है। जांच के तहत यह जानकारी सामने आई है कि सीडीएससीओ ने कुल 6 सैंपल लिए थे। जांच में सभी 6 सैंपल में हानिकारक केमिकल नहीं पाया गया। इसी तरह, मध्य प्रदेश एफडीए ने 13 सैंपल लिए थे, जिनमें से 3 की जांच पूरी हो चुकी है और इसमें भी हानिकारक कैमिकल डीइजी इजी नहीं मिला है। सिरप के सैंपल मिलावटी पाए गए हैं, क्योंकि इसमें डायथिलीन ग्लाइकॉल है जो जहरीला पदार्थ है। ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री को तुरंत रोकने का निर्देश दिया जाता है।
छिंदवाड़ा और आसपास के इलाकों में बच्चों की मृत्यु के बाद स्थानीय स्तर पर राज्य सरकार द्वारा जांच के लिए टीम बनाई गई है।
मीडिया खबरों के अनुसार, राजस्थान में कफ सिरप से तीन बच्चों की मौत हो चुकी है और 35 बच्चे बीमार हैं। इस विवाद को लेकर राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि बच्चों की मौत कफ सिरप से नहीं हुई है यह बच्चे पहले से ही गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे।
सरकार द्वारा भले ही सिरप के सुरक्षित होने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन राज्यों में बच्चों की मौत ने कफ सिरप की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए है। इसके साथ ही देश की स्वास्थ्य प्रणाली और अस्पतालों में मिलने वाली दवाओं की गुणवत्ता एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है।
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