न्यूज डेस्क। आधुनिक युग में युवाओं के चाल-चलन को लेकर सनातन धर्म में बहस छिड़ चुकी है। आज के युवाओं का रहन-सहन, व्यवहार, शब्दचाल और चरित्र अब पूरी तरह से संदेह की दृष्टि में आ चुका है। भारतीय सनातन धर्म में और सनातनी संत आज के युवाओं के चरित्र पर प्रश्न उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
अनिरूद्वचार्य द्वारा 25 वर्षीय महिला पर कहे गए शब्दों को लेकर जहां विवाद अभी थमा नहीं था कि अब प्रेमानंद महाराज द्वारा भी कहा गया है कि 100 में से 2-4 लड़कियां ही शुद्ध रहती हैं। उनका यह पोस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है जिसमें वह आज के बच्चों के विवाह लंबे समय तक नहीं चल पाने पर अपनी राय देते हुए कह रहे हैं कि बच्चे और बच्चियों के चरित्र पवित्र नहीं हैं। आज बच्चे-बच्चियां कैसे आचरण कर रहे हैं। कैसी पोशाकें पहन रहें। एक लड़के से ब्रेकअप और दूसरे से व्यवहार, दूसरे से ब्रेकअप तीसरे व्यवहार। व्यवहार व्याभिचार में परिवर्तित हो रहा है। कैसे शुद्ध होगा। मान लो हमें चार होटल के व्यंजनों की जबान में आदत पड़ गई है तो घर के रसोई का व्यंजन हमें अच्छा नहीं लगेगा। जब चार पुरुष को स्वीकार करने की उसमें आदत पड़ गई है तो एक पति को स्वीकार करने की हिम्मत उसमें नहीं रहेगी। ऐसे ही जब चार लड़की से व्याभिचार करता है तो एक पत्नि से संतुष्ट नहीं रहेगा, क्योंकि उसमें गंदी आदत पड़ गई है। ये सब मोबाइल चल गया और ये गंदी आदतें चल गईं है। आजकल बहु मिलना या पति मिलना बड़ा मुश्किल है। 100 में 2-4 कन्याएं ऐसी होंगी जो अपना पवित्र जीवन रखकर किसी पुरुष को समर्पित होती होंगी। कैसे वो सच्ची बहु बनेंगी जो चार लड़कों से मिल चुकी हों। जो चार लड़कियों से मिल चुका हो वो सच्चा पति बनेगा। हमारा भारत देश धर्म प्रधान देश है। अभी हमारे देश में गलतियां घुस गई हैं। विदेशी माहौल घुस गया है। ये लीव इन रिलेशन क्या है, गंदगी का खजाना। अरे हमारे यहां पवित्रता के लिए जान दे दी। जब मुगलों का आक्रमण हुआ तो जान दे दी, लेकिन छूने नहीं दिया शरीर को। आज वही बच्चे ये सब क्या हैं। अपने पति के लिए प्राण देने की भावना हमारे देश में रही है। हमारी जान चाहे चली जाए मेरे पति का बाल बांका न हो। हमारे धर्म में अपनी पत्नी को प्राण माना गया है। अर्धांग्नि माना गया है। कहां हमारे देश की ये भाषाएं गईं। ये इसी लिए हो रहा है कि पहले से व्याभिचार हो रहा है। नहीं हमारे यहां विवाह को कितना पवित्र माना गया है। विवाह होता तो पूरे देवी-देवताआंें का पूजन होता था। पूरे गांव का आशीर्वाद लिए जाते थे तब वह गृहस्थ जीवन में जाते थे। आज पहले ही व्याभीचार किए बैठे हैं पहले ही गंदे आचरण किए बैठे हैं। क्या जानें उस पवित्र धारा को। क्या मानेंगे वो पाणिग्रहण को। जिस पति ने पाणिग्रहण कर लिया उसके लिए जीवन समर्पित माना जाता है यह हमारा भारत देश है। विदेश नहीं कि आज इसके साथ चल कल उसके साथ चल। तो आज सबसे बड़ी समस्या है कि बच्चे-बच्चियां ही पवित्र नहीं हैं। वो अगर किसी तरह से पवित्र मिल जाएं तो भगवान का वरदान समझो। हम कहते हैं चलो जो बच्चा पन में गलती हो गई हो गई चलों, पर विवाह होने के बाद तो सुधर जाओ। बड़ा विचित्र समय है।

By Pooja Patel

प्रोड्यूसर एंड सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप हैदराबाद, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, भास्कर भूमि, राजस्थान पत्रिका में 14 वर्ष का कार्यानुभव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *