तिरुपति। तिरुमला श्रीवारी लड्डू की जांच पूरी हो चुकी है और टीम ने सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें एसआईटी ने मिलावटखोरों के खिलाफ कई जानकारियां एकत्र करके कोर्ट को दी हैं। कोर्ट में इन मिलावट खोरों के बारे में ऐसी ऐसी जानकारियां सामने आई हैं जिससे आपको हर्षद मेहता की वेबसीरीज से लेकर फिल्मी तरीके का फ्राड नजर आएगा। एसआईटी के मुताबिक कंपनी इतनी जालसाज थी की उसने अपने घी की पूरे देश में बिक्री दिखाने के लिए फर्जी ट्रांसर्पोटेसन से लेकर फर्जी आॅनलाइन पेमेंट की घटनाएं रचीं। ताकि उसकी कंपनी भारत की प्रमुख घी विक्रेता लगे।
ज्ञात हो कि 2019 से 2024 के बीच तिरुपति में निर्मित होने वाले लड्डू में पशु चर्बी से बने घी मिले होने की खबर ने पूरे देश में हलचल मचा दी थी। इसी की सुनवाई कोर्ट में की गई।
गवाहों का धमकाया जा रहा था
मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक एसआईटी ने अदालत को बताया कि जांच के दौरान इसमें संलिप्त लोगों द्वारा गवाहों को धमकाने और कार्यवाही में हस्तक्षेप करने का भी प्रयास किया गया। .
एसआईटी ने जांच के दौरान बोलेबाबा डेयरी, एआर डेयरी और वैष्णवी डेयरी के निदेशकों और कर्मचारियों सहित 14 लोगों को गिरफ्तार किया है। एसआईटी ने टीटीडी के पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी के निजी सहायक अप्पन्ना और कई टीटीडी कर्मचारियों से भी पूछताछ की है।
इससे पहले घी के असली नहीं होने और उसमें पाम आॅयल मिश्रित होने की भी शिकायते मिली थीं। इधर आरोपियों द्वारा अपने पक्ष में कई याचिकाएं दायर किए जाने से लड्डू मिलावट की सुनवाई में देरी होने के कयास भी लगाए जा रहे हैं।
वहीं, अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) जयशेखर ने एसआईटी की ओर से दलील देते हुए कहा कि मामले में आरोपी-15 (ए15), आशीष अग्रवाल, मुख्य आरोपी भोलेबाबा डेयरी के निदेशक पोमिल जैन और विपिन जैन का करीबी सहयोगी है। नेल्लोर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अदालत ने अग्रवाल की जमानत याचिका दूसरी बार खारिज कर दी है। अग्रवाल पर तिरुमला, श्रीकालहस्ती, विजयवाड़ा और श्रीशैलम सहित प्रमुख मंदिरों में मिलावटी घी की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप है।
फर्जी घी बेचने का दिखावा
एसआईटी के अनुसार, आशीष अग्रवाल ने कई कंपनियों के नेटवर्क के जरिए 146 करोड़ रुपये के फर्जी चालान बनाए। इन फर्जी रिकॉर्ड का इस्तेमाल फासी की जांच और मंदिर अधिकारियों को धोखा देने के लिए किया गया, क्योंकि फासी द्वारा साल में दो बार प्रोडक्ट का निरीक्षण किया जाता है।
खाली ट्रक में बीकानेर और दिल्ली से रुड़की घी भेजने का नाटक कंपनी द्वारा किया गया। ताकि यह लगे की कंपनी की घी कई जगहों पर सप्लाई की जाती है।
एसआईटी ने बताया कि कंपनी दिखावे के लिए भोलेबाबा डेयरी के नाम पर फर्जी चालान कटवाती थी और नामित कंपनियों को दिखावे के लिए ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करती थी। इसके बाद इन्हीं पैसों को हवाला चैनलों के माध्यम से वापस अपने पास ले लेती थी। इस प्रक्रिया में आशीष अग्रवाल को लेनदेन पर 2-3 प्रतिशत का कमीशन मिलता था।
एपीपी ने उक्त प्रकरणों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि अग्रवाल घी मिलावट नेटवर्क में एक प्रमुख व्यक्ति था और उसे जमानत पर रिहा करने से गवाहों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है और जांच प्रभावित हो सकती है। इसीलिए कोर्ट द्वारा जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
