शहरी कार्य मंत्रालय। शहरी इलाकों में प्लास्टिक कचरे का ढेर बढ़ता जा रहा है। ऐसे में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत अभिनव पहल न केवल चुनौती का समाधान कर रहे हैं, बल्कि इसे अवसर में बदल रहे हैं।
प्लास्टिक, जो कभी सुविधा का प्रतीक था, अब पर्यावरण के लिए एक बड़ी चिंता बन गया है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत, भारत भर के शहर आरआरआर मॉडल के तहत अभिनव समाधानों – रीसाइक्लिंग, रियूज यानी पुनः उपयोग और रिकवरी पुनर्प्राप्ति के माध्यम से प्लास्टिक कचरे से निपट रहे हैं। इससे चक्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
प्लास्टिक मुक्त जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी और नागरिक भागीदारी को आपस में जोड़ा जा रहा है। यह मिशन जमीनी स्तर पर बदलाव ला रहा है।
त्रिपुरा में कमालपुर नगर पंचायत ने बायोडिग्रेडेबल, रसायन-मुक्त पॉलिमर, पीबीएटी से बने कम्पोस्टेबल बैग बनाए हैं। कम्पोस्टेबिलिटी और बायो-डिग्रेडेबिलिटी मानकों को पूरा करने के लिए सीआईपीईटी द्वारा प्रमाणित, यह बैग पर्यावरण के अनुकूल हैं और 180 दिनों के भीतर विघटित हो जाते हैं। ये बैग प्रबंधन द्वारा 145 रुपए प्रति किलोग्राम थोक और 160 रुपए प्रति किलोग्राम खुदरा मूल्य पर उपलब्ध हैं।
ये बैग पर्यावरण प्रदूषण को कम कर कम्पोस्टेबल बैग के उपयोग को बढ़ावा देंगे। ये बैग एक स्थायी उपयोग के साथ यहां के लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं।
प्रतिबंध के बावजूद बाजारों में लगातार सिंगल-यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के उपयोग से निपटने के लिए, त्रिची सिटी कॉरपोरेशन ने जीआईजेड इंडिया के सर्कुलर वेस्ट सॉल्यूशंस प्रोजेक्ट के साथ मिलकर 2022 में एक लक्षित अभियान शुरू किया।
प्रबंधन ने इस बैग के लिए त्रिपुरा के विभिन्न स्थानों तेन्नूर, केके नगर और वोरैयूर में 220 विक्रेताओं को शामिल किया है। इसके अलावा विशिष्ट किसान बाजारों को गहन भागीदारी के लिए चुना गया। इन विक्रेताओं को पर्यावरणीय नुकसान के बारे में शिक्षित किया गया और टिकाऊ विकल्प अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
कपड़े के थैले भी लोकप्रिय
‘थुनिप्पई थिरुविझाई’ पहल ने खरीदारों के बीच उपयोग लाए गए कपड़ों केे थैलों को और बढ़ावा दिया है। तेन्नूर किसान बाजार ने एक साल में 2,200 किलोग्राम एसयूपी, केके नगर ने चार महीनों में 620 किलोग्राम और वोरैयूर ने छह महीनों में 300 किलोग्राम एसयूपी सिंगल यूज प्लास्टिक प्रयोग को रोका है।।
