आगरा| आगरा के 5R पहल के माध्यम से कचरे से सृजनशीलता और पर्यावरणीय सजगता और स्वच्छता को बढ़ावा मिल रहा है। 5R अर्थात् Reduce, Reuse, Recycle, Repurpose, और Refuse के सिद्धांतों पर आधारित यह अभियान न केवल कचरे को कम करने की दिशा में प्रभावी कदम उठा रहा है, बल्कि इसे एक नई पहचान देने के साथ-साथ पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में भी सहायक है। कचरे से सृजनात्मकता की प्रक्रिया ने न सिर्फ शहर के दृश्य को बदलने का कार्य किया है, बल्कि आगरा वासियों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी का भी संचार किया है।
बैनर्स सुंदर थैलों में बदल रहे
नगर निगम द्वारा समय-समय पर आयोजित विभिन्न अभियानों जैसे क्षेत्रीय कार्यक्रमों में उपयोग किए गए बैनर्स को पुनः उपयोग (Reuse) के लिए स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं द्वारा इन्हें उपयोगी और सुंदर थैलों में बदल रहे हैं, जो प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वच्छ भारत मिशन के उद्देश्य को भी बल प्रदान कर रहा है। इन पहलों से स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है। इन्हीं पहलों के अंतर्गत आगरा के 9 प्रमुख कमर्शियल बाजारों को “Zero Waste Market” घोषित किया गया है, जहां अब SUP (Single Use Plastic) को पूर्णतः निषेध कर दिया गया है
म्युनिसिपल बॉन्ड के जरिए 50 करोड़ रुपए जुटाए
इसके अतिरिक्त, आगरा नगर निगम ने अपने पहले म्युनिसिपल बॉन्ड के जरिए सफलतापूर्वक 50 करोड़ रुपए जुटाए हैं, जो शहरी आधारभूत ढांचे के सस्टेनेबल विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह राशि स्मार्ट और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से सस्टेनेबल परियोजनाओं में निवेश के लिए इस्तेमाल की जाएगी। इस बॉन्ड इश्यू को निवेशकों का जबरदस्त विश्वास मिला, और यह 3.5 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के इलेक्ट्रॉनिक बिडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से कुल 174 करोड़ रुपये की बोलियां प्राप्त हुईं, जो दर्शाता है कि निवेशक अब सस्टेनेबिलिटी और ग्रीन डेवलपमेंट को प्राथमिकता दे रहे हैं।
यही नहीं, आगरा में चल रहे अन्य अभियानों जैसे ‘कायाकल्प अभियान’ और ‘स्वच्छ वसंत महोत्सव’ ने नगरवासियों में स्वच्छता के प्रति सजगता का संचार भी किया है। हाल ही में बीते दुर्गाष्टमी के अवसर पर ‘कायाकल्प अभियान’ द्वारा पार्कों को वेस्ट टू वंडर थीम पर सजाया, जहां पुराने टायरों और पुनः उपयोगी वस्तुओं से बनाए गए आर्टिफैक्ट्स ने पार्कों को न केवल सुंदर बनाया बल्कि स्वच्छता और सर्कुलर इकॉनमी की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाया।
सूखे नारियल के कचरे कोकोपीट
इसी कड़ी में सूखे नारियल के कचरे के संग्रहण, वेस्ट मैनेजमेंट फैसिलिटी सेंटर तक परिवहन और प्रसंस्करण के लिए एक सुव्यवस्थित और रणनीतिक पहल का भी सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। अकसर लापरवाही से फेंके जाने वाले नारियल के कचरे को अब एक 4 टीपीडी नारियल शेल प्रसंस्करण इकाई के माध्यम से मूल्यवान संसाधनों में परिवर्तित किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत संग्रहित किए गए नारियल के खोलों को धूप में सुखाया जाता है और फिर उन्हें कोकोपीट (कॉयर पिट) में प्रसंस्कृत किया जाता है—जो मिट्टी को समृद्ध करने का एक माध्यम है, जिसे बागवानी, नर्सरी और अर्बन फार्मिंग में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त, स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं को शामिल करके कॉयर फाइबर से सस्टेनेबल रस्सियों और अन्य उपयोगी उत्पादों का कुशलतापूर्वक निर्माण किया जा रहा है, जिससे नगर निगम की आजीविका को बढ़ावा मिल रहा है।
यमुना नदी की स्वच्छता का संदेश
आगरा नगर निगम द्वारा संचालित ‘प्लॉग रन’ जैसे जन भागीदारी वाले अभियानों के माध्यम से यमुना नदी की स्वच्छता का संदेश भी लोगों में फैला रहे हैं। इन गतिविधियों ने नागरिकों को न केवल स्वच्छता की आदतों से अवगत कराया बल्कि उन्हें अपने शहर को स्वच्छ बनाने में सक्रिय रूप से भागीदार बनने के लिए प्रेरित किया और स्वच्छता को संस्कार से लेकर अपने स्वभाव में भी लाने का एक प्रभावी संदेश भी दिया।
आगरा नगर निगम की यह शानदार पहल ‘कचरे से कंचन’ और ‘वेस्ट टू वंडर’ जैसी योजनाओं के माध्यम से इस शहर को हरित और स्वच्छ बनाने के लिए एक मजबूत कदम है, जो न केवल नगरवासियों को प्रेरित कर रही है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक स्थायी और स्वच्छ भविष्य की नींव रख रही है।
