नई दिल्ली। संपूर्ण नदी और पर्यावरण पुनरुद्धार की दिशा में ए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की 62वीं कार्यकारी समिति (ईसी) की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने की उन्होने नदी के पुनरुद्धार की स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया। समिति ने गंगा बेसिन में इको-सिस्टम की बहाली पर चर्चा की। बैठक में कहा गया कि नमामि गंगे कार्यक्रम को संयुक्त राष्ट्र दशक (यूएनईपी और एफएओ) द्वारा शीर्ष दस, विश्व बहाली प्रमुख पहलों में से एक के रूप में मान्यता दी गई है। ईसी ने भोजपुर जिले, बिहार में नथमलपुर भगड़ (वेटलैंड) के संरक्षण और सतत प्रबंधन परियोजना को हरी झंडी दे दी, जिसकी अनुमानित लागत 3.51 करोड़ रुपये है। यह परियोजना एनजीपी के तहत शुरू की जा रही पांचवीं वेटलैंड है। अब तक, नमामि गंगे के तहत 4 वेटलैंड के संरक्षण को मंजूरी दी जा चुकी है।
– कालेवाड़ाझील, मुजफ्फरनगर, यूपी
-नामिया दाह झील,प्रयागराज,यूपी
-रेवती दाह वेटलैंड, बलिया, उत्तर प्रदेश
-उधवा झील (रामसर साइट) साहिबगंज, झारखंड
यह नदी बेसिन संरक्षण और विकासात्मक योजना में जैव विविधता और इको-सिस्टम सेवा मूल्यों को एकीकृत करने पर केंद्रित है। परियोजना उप-बेसिन (घाघरा, गोमती और सोन संगम) और साइट स्तरों (नाथमलपुर भगद) पर हस्तक्षेप के साथ एक दोहरे दृष्टिकोण का प्रस्ताव करती है, जिसमें आर्द्रभूमि परिसीमन, जल विज्ञान व्यवस्था में वृद्धि, प्रजाति और आवास संरक्षण, पारिस्थितिकी मूल्यांकन, जोखिम मूल्यांकन, क्षमता निर्माण, संचार और आउटरीच, और आर्द्रभूमि इको-सिस्टम के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए निगरानी तंत्र जैसी गतिविधियां शामिल हैं।
ईसी ने उत्तर प्रदेश के आगरा और प्रयागराज जिलों के लिए शहरी योजनाओं की तैयारी और उपचारित अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग पर प्रशिक्षण के लिए गंगा बेसिन में जल-संवेदनशील शहर बनाने के लिए क्षमता निर्माण पहल परियोजना के लिए 34.50 लाख रुपये की मंजूरी दी। इस परियोजना का उद्देश्य एनएमसीजी द्वारा विकसित उपचारित जल के सुरक्षित पुनः उपयोग के लिए राष्ट्रीय ढांचे (एसआरटीडब्ल्यू) के अनुरूप शहरी स्तर पर पुनः उपयोगी योजना का निर्माण करना है।
नथमलपुर वेटलैंड
ये परियोजना स्वीकृतियां एकीकृत जल प्रबंधन और पर्यावरण बहाली के लिए एनएमसीजी की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती हैं। जैसे-जैसे मिशन विकसित होता रहेगा, ऐसे रणनीतिक निर्णय भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, स्वस्थ और अधिक टिकाऊ नदी इको-सिस्टम के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
विद्युत मंत्रालय के संयुक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार, (अतिरिक्त प्रभार) नदी विकास और गंगा संरक्षण, जल शक्ति मंत्रालय, महावीर प्रसाद, एनएमसीजी के उप महानिदेशक नलिन श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक (तकनीकी) अनूप कुमार श्रीवास्तव, कार्यकारी निदेशक (परियोजनाएं) बृजेन्द्र स्वरूप, कार्यकारी निदेशक (प्रशासन)एसपी वशिष्ठ, कार्यकारी निदेशक (वित्त) भास्कर दासगुप्ता, उत्तर प्रदेश एसएमसीजी के अतिरिक्त परियोजना निदेशक प्रभास कुमार और बिहार के मुख्य वन संरक्षक-सह- राज्य नोडल अधिकारी, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन एस चंद्रशेखर, आईएफएस ने बैठक में मौजूद रहे।
