न्यूज डेस्क। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में कक्षा 1 से 5 तक हिन्दी का अनिवार्य कर दिया है। इसके साथ महाराष्ट्र देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जिसने हिन्दी को अपने पाठ्यक्रम में अनिवार्य कर दिया है। क्षेत्रियता बनाम राष्ट्रवाद के चलते आजतक हिन्दी राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई है। राजभाषा होते हुए भी यह सम्मान को ललायित है।
महाराष्ट्र में हिन्दी के पाठ्यक्रम में लागू होने के बाद महाराष्ट्र की विपक्षीय पार्टियों के नेता जमकर बयानबाजी कर रहे हैं। आइए, जानें किसने क्या कहा
प्रधानमंत्री को हिन्दी नहीं आती तो सब पर थोप रहे
हिन्दी पाठ्यक्रम लागू होने पर शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री मुंबई में है, हम सभी हिन्दी गाने गाते हैं, फिर भी आप हमें हिन्दी सिखाने चले हैं? उन्होंने सवाल उठाया कि जरूरत जहां है- जैसे तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश या नॉर्थ-ईस्ट में, वहां कीजिए, लेकिन महाराष्ट्र में पहले मराठी की बात की जानी चाहिए। हिन्दी के प्रति प्रेम है पर उसे जबर्दस्ती न थोपा जाए। नरेन्द्र मोदी, अमित शाह को अंग्रेजी नहीं आती इसका मतलब यह नहीं कि सभी को हिन्दी पढ़ाई जाए।
हम हिन्दु हैं हिन्दी नहीं
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने भी इस पाठ्यक्रम का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा हम हिन्दु हैं हिन्दी नहीं। केन्द्र सरकार हर जगह हिन्दी थोपने की कोशिश कर रही है। हम इसे सफल नहीं होने देंगे। त्रिभाषी मामलों को सरकारी योजना तक रखें। हिन्दी राजभाषा है राष्ट्रभाषा नहीं। उनकी पार्टी द्वारा हिन्दी को पाठ्यक्रम में शामिल करने के विरोध में महाराष्ट्र पोस्टर लगाए गए है साथ प्रदर्शन किए जाने की बात कही गई है।
स्वीकार नहीं करेंगे
इससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी हिन्दी भाषा का विरोध करते हुए कह चुके हैं कि तीन भाषा नीति को वह कभी भी अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगे। मुख्यमंत्री ने सभा में कहा था कि भले ही वह हमें धमकी दे रहे हैं कि हिन्दी स्वीकार नहीं करेंगे तो हमें पैसे नहीं देंगे। हमने भी कहा है हम पैसे नहीं लेंगे और हिन्दी भी स्वीकार नहीं करेंगे।
सड़ा हुआ हिन्दुत्व संस्करण स्वीकार्य नहीं
इन सब विरोधों के बीच बुधवार को शिवसेना प्रमुख का नासिक के गोविंदपुरी में आयोजित कार्यक्रम का बयान भी काफी चर्चा में है जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा उनके खिलाफ साजिश कर रही है। वह हिन्दुत्व का कभी विरोध नहीं करते हैं और मरते दम तक हिन्दुत्व को नहीं छोड़ेंग, लेकिन उन्हें भाजपा का सड़ा हुआ हिन्दुत्व संस्करण स्वीकार्य नहीं है। फिलहाल हिन्दी पाठ्क्रम को लेकर उनकी बयानबाजी सामने नहीं आई है।
