न्यूज डेस्क। अक्षय तृतीया, अखा तीज, अक्ति के नामों से पहचाने जाने वाला यह त्योहार छत्तीसगढ़ और मध्य-प्रदेश, बुंदेलखंड के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इन राज्यों में अक्ति के नाम से बुलाए जाने वाले इस त्योहार के दिन यहां गुड्डे-गुड़ियों यानि कि पुतरा-पुतरी की शादी की जाती है। उनके लिए मंडप सजाया जाता है। मिट्टी से बने पुतरा-पुतरी को बिठा कर उनकी शादी की जाती है। पुतरा-पुतरी को आशीर्वाद के रूप घर के बड़े-बुजुर्ग बच्चों को इस दिन पैसे, खिलौने और मिठाइयां देते हैं।
क्या है इस परम्परा का महत्व
पुतरा-पुतरी की शादी को लेकर छत्तीसगढ़ और मध्य-प्रदेश के राज्य के लोगों का मानना है कि इसी दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का विवाह हुआ था। लोग इसीलिए पुतरा-पुतरी की शादी कर बच्चों को विवाह के महत्व और संस्कृति के बारे में बताते हैं। मुख्य रूप से बेटियों को पुतरा-पुतरी खरीदकर घर-संसार और विवाह का महत्व बतलाया जाता है।
चढ़ती है तेल-हल्दी
छत्तीसगढ़ में पुतरा-पुतरी को हल्दी भी लगाई जाती है। आम के पत्तों से बने मंडप पर रंग-बिरंगे चावल से घड़े सजाए जाते हैं। शाम होते ही सारे बच्चों की टोलियां ढोल-नगाड़ों के साथ अपने मित्रों को पीले चावल देकर पुतरा-पुतरी की शादी का निमंत्रण देने जाते हैं। अपने पुतरा-पुतरी की बारात निकालते हैं।
शिव-पार्वती हैं गुड्डे-गुड़ियां
मध्य-प्रदेश में लोग इस दिन शिव-पार्वती के विवाह के रूप में भी इसे मनाते हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह गणगौर तीज में इसर जी और गौरा जी पूजे जाते हैं। लोग गुड्डे-गुड़ियों को पूजते और विवाह करते हैं।
गांठ का महत्व
मध्य-प्रदेश में गुड्डे-गुड़ियों के विवाह के दौरान बिलकुल दूल्हा-दुल्हन की तरह कपड़ों में गांठ बांधी जाती है। यह गांठ अक्षय तृतीया से लेकर वट सावित्री पूजा तक बंधी रहती है। इस गांठ को गुड्डे-गुड़ियों की पूजा के बाद इसी दिन खोला जाता है। इसे मजबूत वैवाहिक रिश्ते की कामना के लिए बांधा जाता है। अक्षय तृतीया तक गुड्डे-गुड़ियों को घर के पूजा मंदिर में रखकर पूजा जाता है और भोग भी लगाया जाता है।
खूब होते हैं विवाह
इस अबूझ मुहूर्त में विवाह को बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दिन विवाह करने वाले दम्पति को सुख-समृद्धि, दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन किया गया विवाह सीधे भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद से जुड़ा होता है।
अक्षय तृतीया को हिन्दू परिवारों में इतने ज्यादा विवाह किए जाते हैं कि सालों से रिश्तेदारों में यही उलझन रहती आई है कि किसकी शादी में जाएं और किसकी में नहीं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि मांगलिक दोष वालों को इसी दिन विवाह करना चाहिए। इससे यह दोष समाप्त होता है।
