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न्यूज डेस्क। खुशियों के मौके पर या कोई अच्छी बात सुनकर अक्सर आपने लोगों को ‘टच वुड’ कहते सुना होगा। ये ‘टच वुड’ कहां से आया आखिर वुड को टच करने से क्या सच में नजर नहीं लगेगी! आखिर लोग ऐसा क्यों बोलते हैं! क्या वुड का हमारी पुरातन धार्मिक पद्धतियों से कोई नाता है! ये गहन सवाल कई बार हमारे दिमाग में आते हैं। आइए, जानें कि आखिर क्यों लकड़ी यानि वुड हमारी धार्मिक जीवन शैली में इतनी महत्वपूर्ण है!


ईसा पूर्व से बोली जा रही
‘टच वुड’ शब्द का उपयोग ईसा पूर्व से ही किया जा रहा है। इसके पीछे कोई विशेष तथ्य मौजूद नहीं है। कुछ लोग मानते हैं कि वुड में आत्माओं का निवास होता है जिनकी नजर न लगे इसीलिए ऐसा बोला जाता है। वहीं कहीं-कहीं जगहों पर यह धारणाएं हैं कि वुड में अच्छी आत्माओं का निवास होता हैं जो ऐसा कहने से हमारे अच्छे दिनों और समय की रक्षा करती हैं।

जर्मन थ्योरी के जर्मनी में लोग अपने दोस्तों के साथ शराब पीते टाइम लकड़ी को छूते हैं। वो मानते हैं कि इससे ‘गुड लक’ आता है। ओक की लकड़ी को वह पवित्र मानते थे, उनका मानना था कि शैतान उस लकड़ी को छू नहीं सकता। इसीलिए लोग लकड़ी को छूकर यह कहते थे कि वह शैतान नहीं हैं।


क्या कहता है हिन्दू शास्त्र

हिन्दू धर्म में तो कुछ लकड़ियों को दैविय रूप बताया गया है। जैसे कि सागौन, शीशम जिससे विशेष रूप से घरों के फर्नीचर और मंदिर सदियों से बनाए जा रहे हैं। आम की लकड़ियों को विशेष रूप से यज्ञ में इस्तेमाल किया जाता है। इससे देवी-देवताओं हवन किया जाता है। घरों में चैखट की पूजा की जाती है। चार पैरों वाले बाजौट पर भगवान को बैठाया जाता है। शादी के मंडपों पर विशेष लकड़ी और बांस का उपयोग होता है। इन सभी धार्मिक क्रियाओं में लकड़ी का विशेष महत्व है। चंदन, रूद्राक्ष, तुलसी की महिमा के बारे में तो आप सभी जानते हैं। इसके अलावा अशोक, देवदार, अर्जुन, श्रीपर्णी, शमी की लकड़ियां भी शुभ मानी जाती हैं।
वास्तुशास्त्र में लकड़ी का भाग्यशाली और नैचुरल पावर से पूर्ण बताया गया है। लकड़ी को प्राकृतिक वस्तु माना जाता है और इस प्राकृतिक वस्तु में पंच तत्व भी विद्यमान होते हैं। इससे उर्जा का संचार भी होता है। लकड़ी के पूजा मंदिर, पलंग, झूले, तखत, टेबल, दरवाजों-चैखटों को वास्तु में घरों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। पुराने जमाने में लकड़ियों को दीमक से बचाने के लिए इसमें घी का लेप लगाया जाता था।
अफसोस की बात यह है कि दीमक से परेशान होकर लोगों ने अब घर की चैखट भी कांक्रीट या लोहे की बनाना शुरू कर दी हैं। लकड़ी के फर्नीचर घरों से गुम से हो गए हैं। इनकी जगह प्लाईवुड, चाइना वुड ने ले ली हैं। लकड़ी के प्रोडक्शन के लिए जंगल कटते हैं इस लिहाज से इन फर्नीचरों को ज्यादा चलन शुरु हुआ है, जो प्रकृति के लिहाज से भी सहीं है।
फिर भी इतिहास में लकड़ी की महत्चता को नकारा नहीं जा सकता है। इसी लिए वास्तुविद्य शायद लोगों को फर्नीचर में प्योर लकड़ी के उपयोग की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि इसमें निहित उर्जा हजारों वर्षों से हमारे भाग्य को बलवान बनाती आई है। शायद इसीलिए कहा जाता है, ‘टच वुड’।

By Pooja Patel

प्रोड्यूसर एंड सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप हैदराबाद, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, भास्कर भूमि, राजस्थान पत्रिका में 14 वर्ष का कार्यानुभव

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