News Desk| कृषि मंत्री शिवराज सिंह चैहान ने एक पोस्ट सोशल मीडिया में किया है। जिसमें वह लुधियाना के नुपुरपुर गांव के किसानों की प्रशंसा करते नजर आ र हे हैं। जिसमें किसान बिना पराली जलाए एक मशीन के द्वारा इसे नष्ट करते हैं और इससे वातावरण और खेत दोनों सुरक्षित रहता है। उनके द्वारा इस पराली काटे जाने वाली इस मशीन का वीडियो अपलोड किया गया है। जिसमें वह किसानों की प्रशंसा कर इस तकनीक अन्य स्थानों में भी उपयोग लाने की बात कह रहे हैं।
उन्होंने पोस्ट में लिखा है, ‘लुधियाना का नूरपुर बेट गांव एक मिसाल है। यहां वर्षों से पराली नहीं जलाई जाती है। यहां के किसान भाइयों द्वारा स्मार्ट सीडर और एसएमएस सिस्टम युक्त कम्बाइन की मदद से पराली का प्रबंधन किया जाता है। जब यह चलता है तो पराली को जलाने की बजाय उसे खेत में ही समान रूप से फैला देता है। इससे खेत तुरंत बोनी के लिए तैयार हो जाता है। ना पराली जलाने की जरूरत, ना बखरनी करने की। फिर जब स्मार्ट सीडर से बोनी की जाती है तो वह मिट्टी और दाने को कॉम्पेक्ट कर देता है। पराली मिट्टी पर ढक जाती है, जिससे नमी बनी रहती है और जड़ों को मजबूती मिलती है।

किसान भाइयों ने बताया कि जहां पहले खेत की तैयारी, पलेवा और बोनी में लगभग पांच हजार रुपये तक का खर्च आता था, वहीं अब केवल पंद्रह सौ रुपये में काम पूरा हो जाता है। पहले पराली जलाकर खेत तैयार किया जाता था, फिर बखरनी, फिर पलेवा। लेकिन अब इस तकनीक से पलेवा की आवश्यकता ही नहीं है। खेत की नमी बनी रहती है, और गेहूं की फसल की जड़ें गहरी और मजबूत होती हैं। ऐसे में न तो फसल आड़ी होती है, न ही दाना पतला पड़ता है। किसान भाइयों ने बताया कि उत्पादन में कोई कमी नहीं आई, बल्कि वृद्धि हुई है। अगर दो साल लगातार इस पद्धति से पराली का प्रबंधन किया जाए तो पराली खुद मिट्टी में मिलकर नाइट्रोजन बन जाती है। इससे यूरिया की आवश्यकता घटती है, मिट्टी की सेहत सुधरती है, और खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।’

By Pooja Patel

प्रोड्यूसर एंड सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप हैदराबाद, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, भास्कर भूमि, राजस्थान पत्रिका में 14 वर्ष का कार्यानुभव

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