न्यूज डेस्क। करवा चौथ में सरगी का बहुत अधिक महत्व है। हर सुहागन महिला का उपवास इसके बिना अधूरा है। सरगी सास द्वारा बहु को दी जाती है। उत्तर भारत के कई प्रांतों में करवाचैथ की सुबह सास द्वारा दी गई सरगी खाकर ही बहु करवाचैथ का उपवास रखती है। आखिर सरगी क्यों खाई जाती है और मिट्टी की सरगी का क्या महत्व है आइए, इसके बारे में जानें।
मिट्टी की सरगी
करवा चौथ पर मिट्टी की सरगी या मिट्टी के करवा चढ़ाना दांपत्य जीवन में खुशहाली और पति की दीर्घायु की कामना का प्रतीक है, जिसमें पंच तत्वों (जल, मिट्टी, अग्नि, आकाश, वायु) का समन्वय होता है।
सरगी सास और बहू के बीच प्यार और स्नेह का प्रतीक है, जिसमें सास अपनी बहू को व्रत के लिए शुभ और पौष्टिक खाद्य पदार्थ देती है। सरगी में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल किए जाते हैं जो पूरे दिन के निर्जला व्रत के दौरान शरीर को ऊर्जा और ताकत प्रदान करते हैं।
माता पार्वती ने जब करवा चैथ का व्रत रखा था, तब उनकी मां मैना देवी ने उन्हें सरगी दी थी। द्रौपदी ने को कुंती ने सरगी दी थी।

