New Delhi| विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) ने अब ट्रिपल निगेटिव स्तन कैंसर के इलाज के क्षेत्र में नई उपलब्धि हासिल की है। इसके तहत आईढएसएसटी के डॉ. आशीष बाला और आईआईटी गुवाहाटी में रसायन विज्ञान विभाग के डॉ. कृष्ण पी. भबक ने अपने शोध कार्य में ऑर्गेनोसेलेनियम कंपाउंड 4-नाइट्रो-प्रतिस्थापित बेंजाइलिक डाइसेलेनाइड 7 को सफलतापूर्वक डिजाइन और संश्लेषित किया है।
इस शोध में ज्ञात हुआ है कि नवनिर्मित नाइट्रो-प्रतिस्थापित ऑर्गेनोसेलेनियम यौगिक, विभिन्न सिग्नलिंग मार्गों को ठीक करके ट्रिपल-नेगेटिव स्तन कैंसर कोशिकाओं के प्रभाव को कम कर सकता है।टीम ने इसे Na₂Se₂ और NaHSe के साथ बेंजाइलिक हैलाइडों के न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन के माध्यम से संश्लेषित किया, जो निष्क्रिय वातावरण में सोडियम बोरोहाइड्राइड के साथ सेलेनियम को कम करके प्राप्त किया गया।
डाइसेलेनाइड 7 नामक यह नव-संश्लेषित नाइट्रो-प्रतिस्थापित ऑर्गेनोसेलेनियम कंपाउंड, विभिन्न संकेतन मार्गों को संशोधित करके ट्रिपल-नेगेटिव स्तन कैंसर कोशिकाओं के प्रभाव को कम करने में सक्षम हैं। स्तन एडेनोकार्सिनोमा से ग्रस्त स्विस एल्बिनो चूहों में, इसने ट्यूमर के आकार और एंजियोजेनेसिस तथा मेटास्टेसिस को कम किया, जिससे चूहों की आयु बढ़ गई।
अध्ययनों से पता चला है कि यह कंपाउंड कैंसर कोशिकाओं के भीतर कई जीवित तंत्रों को लक्षित करके अपने कैंसर-रोधी प्रभाव को बढ़ाता है। यह उपचार दो महत्वपूर्ण मार्गों, एकेटीध्एमटीओआर और ईआरके, को अवरुद्ध करता है, जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने में मदद करते हैं। यह प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियां (आरओएस) भी बनाता है और डीएनए और कैंसर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाली सूजन को कम करता है।
यह अध्ययन नाइट्रो-प्रतिस्थापित ऑर्गेनोसेलेनियम कंपाउंड की कैंसररोधी एजेंट के रूप में भूमिका पर प्रकाश डालता है, तथा कैंसर के उपचार के लिए उनके विकास का समर्थन करता है।
