नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में देश में एक गतिशील एवं समावेशी खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ‘खेलो भारत नीति’ पर प्रकाश डाला, जो एक व्यापक संरचना है जिसका उद्देश्य स्कूलों एवं कॉलेजों में जमीनी स्तर की भागीदारी से लेकर उन्नत एथलीटों के विकास तक, सभी स्तर पर खेल पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना है।

खेलो भारत नीति’ को देश की खेल संबंधी महत्वाकांक्षाओं को वैश्विक मानकों के साथ संरेखित करने के लिए एक बड़े कदम के रूप में प्रस्तुत किया गया है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि इसका उद्देश्य एक मजबूत समर्थन प्रणाली स्थापित करना है जिसमें खेल अवसंरचना, कोचिंग, प्रशिक्षण सुविधाएं और खेल में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए अन्य आवश्यक संसाधन शामिल हैं।

उन्होंने कहा, “देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए हम राष्ट्रीय खेल नीति लेकर आए हैं, कई दशकों के बाद हम देश में ‘खेलो इंडिया नीति’ लेकर आए हैं ताकि खेल क्षेत्र के विकास के लिए एक व्यापक कोशिश की जा सके। स्कूल से लेकर ओलंपिक तक हम एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना चाहते हैं फिर चाहे वह कोचिंग में हो, फिटनेस के मामले में हो, खेल के मैदानों में हो, खेल सुविधाओं में हो, खेलों के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराने में हो या फिर छोटे उद्योगों को खेल समाग्री बनाने में सहायता करने में हो। दूसरे शब्दों में, हम इस संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को दूर-दराज के क्षेत्रों के बच्चों तक पहुंचाना चाहते हैं।”

‘खेलो भारत नीति’ 2025 भारत की खेल यात्रा में एक क्रांतिकारी परिवर्तन है जो देश को एक वैश्विक खेल महाशक्ति में परिवर्तित करने के सरकार के दृष्टिकोण को मजबूत करती है, साथ ही यह सुनिश्चित करती है कि देश के प्रत्येक युवा को खेलों में आगे बढ़ने एवं उत्कृष्टता प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हो।

By Pooja Patel

प्रोड्यूसर एंड सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप हैदराबाद, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, भास्कर भूमि, राजस्थान पत्रिका में 14 वर्ष का कार्यानुभव

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