दिल्ली| भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “कानून के अनुसार अगर समय रहते मतदाता सूचियों में त्रुटियां साझा न की जाए, अगर मतदाता द्वारा अपने उम्मीदवार को चुनने के 45 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर नहीं की जाए, और फिर वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह करने का असफल प्रयास किया जाए, तो यह भारत के संविधान का अपमान नहीं तो और क्या है?”

चुनाव आयोग मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है। ज्ञानेश कुमार ने कहा, ‘हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया के सामने पेश की गईं। उन पर आरोप लगाए गए, उनका इस्तेमाल किया गया। क्या चुनाव आयोग को किसी भी मतदाता, चाहे वह उनकी मां हो, बहू हो, बेटी हो, उनके CCTV वीडियो साझा करने चाहिए? जिनके नाम मतदाता सूची में हैं, वे ही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं।’

 ज्ञानेश कुमार ने कहा, ‘यह गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों और उनके द्वारा नामित BLA के सत्यापित दस्तावेज और टेस्टेमोनियल या तो उनके अपने राज्य या राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक नहीं पहुंच रहे हैं या फिर जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करके भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है। सभी हितधारक मिलकर काम करके बिहार के SIR को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। चाहे किसी भी राजनैतिक दल का कोई भी हो, चुनाव आयोग अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटेगा। पिछले दो दशकों से लगभग सभी पार्टियां मतदाता सूची में गलतियों में सुधार की मांग करते रहे हैं और इसी मांग को पूरा करने के लिए ही चुनाव आयोग ने एसआईआर की शुरुआत बिहार से की।’

 ज्ञानेश कुमार ने कहा, ‘आप सभी जानते हैं कि कानून के अनुरूप हर राजनैतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन से ही होता है, तो चुनाव आयोग उन्हीं दलों में कैसे भेदभाव कर सकता है। चुनाव आयोग के लिए न तो कोई पक्ष है, न ही कोई विपक्ष, सब समकक्ष हैं।’

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By Pooja Patel

प्रोड्यूसर एंड सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप हैदराबाद, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, भास्कर भूमि, राजस्थान पत्रिका में 14 वर्ष का कार्यानुभव

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