दुर्ग। कमरछट्ट की महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी। छत्तीसगढ़ के इस त्योहार में व्रत पूजा के सामानों पर महंगाई चरम पर रही। आम लोग महंगे सामानों की खरीदारी के दौरान काफी तंग नजर आए। उपर से मूसलाधार बारिश ने बुधवार को बाजार को तर-बतर कर दिया।
कमरछट्ट के त्योहार में सबसे प्रमुख भैंस का दूध होता है, लेकिन विक्रेताओं की मनमानी के चलते भैंस का दूध 240 रुपए किलो बिकता नजर आया। वहीं भैंस के दूध की घी 500 रुपए में 250 ग्राम मिलती नजर आई।
कमरछट्ट की पूजा में महिलाएं महुआ के पत्तों से बने दोनों का उपयोग करती हैं। ये पत्तल 30 रुपए में सिर्फ एक बिकता नजर आया है। पसहर का चावल 40 रुपए पाव बिकता नजर आया। इसकी कीमतों को लेकर बाजार में खरीदारों में काफी गुस्सा दिखाई दिया।
हमारी टीम ने बाजार में जब महिलाओं से बात की तो उनका कहना था कि इन सामानों की मनमानी कीमतों पर सरकार को लगाम लगाना चाहिए। आम महिलाएं एवं परिवार इतने महंगे सामानों की मजबूरन खरीदारी करते हैं। त्योहार और व्रत के सामानों को भी व्यापार बना दिया गया है।

आपको बता दें कि अमूल जैसे कई ब्रांडेड कंपनियांें के 100 प्रतिशत शुद्धता की मार्क वाला भैंस का दूध बाजार में 80 रुपए किलो में मिलता है, लेकिन यह भी बाजार की कालाबाजारी के कारण इस दिन मार्केट से नदारद रहा। अमूल के वेंडरों के पास यह दूध उपलब्ध ही नहीं था।
कमरछट्ट जब राज्य का प्रमुख त्योहार हैं तो राज्य के खाद्य प्रशासन को दूध की लिमिटेड कीमत और इसके उत्पादन को सुनिश्चित करना चाहिए ताकि विक्रेताओं द्वारा आम जनता से इस दिन मनमानी कीमतें न वसूली जाएं। राज्य की प्रमुख दुग्ध उत्पादन कंपनी के उत्पादन और प्रबंधन पर ध्यान देने की बहुत ज्यादा जरूरत है। यही नहीं इन चीजों के सही कीमत के साथ आम लोगों के पहुंच तक होना भी जरूरी है।
