New Delhi. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात में बच्चों को संबोधित करते हुए कई जानकारियां दी। इस मौके पर उन्होंने प्राचीन पांडुलिपियों से नई पीढ़ी को अवगत कराने और इसे पढ़ने इस पर रिसर्च करने के मुद्दे पर बात की।
उन्होंने बताया कि भारत की संस्कृति का बहुत बड़ा आधार हमारे त्योहार और परम्पराएं है, लेकिन हमारी संस्कृति की जीवंतता का एक और पक्ष है – ये पक्ष है अपने वर्तमान और अपने इतिहास को Document करते रहना। हमारी असली ताकत वो ज्ञान है, जिसे सदियों से पांडुलिपियां (Manuscripts) के रूप में सहेजा गया है। इन पांडुलिपियों में विज्ञान है, चिकित्सा की पद्धतियाँ हैं, संगीत है, दर्शन है, और सबसे बड़ी बात वो सोच है, जो, मानवता के भविष्य को उज्ज्वल बना सकती हैं।

 उन्होंने kaha कि ऐसे असाधारण ज्ञान को, इस विरासत को सहेजना हम सबकी जिम्मेदारी है। हमारे देश में हर कालखंड में कुछ ऐसे लोग हुए हैं जिन्होंने इसे अपनी साधना बना लिया। ऐसे ही एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं – मणि मारन जी, जो तमिलनाडु के तंजावुर से हैं। उन्हें लगा कि अगर आज की पीढ़ी तमिल पांडुलिपियाँ पढ़ना नहीं सीखेगी, तो आने वाले समय में ये अनमोल धरोहर खो जाएगी। इसलिए उन्होंने शाम को कक्षाएँ शुरू की। जहां छात्र, नौकरीपेशा युवा, Researcher, सब यहाँ आकर के सीखने लगे। मणि मारण जी ने लोगों को सिखाया कि “TamilSuvadiyiyal” यानि Palm Leaf Manuscipts को पढ़ने और समझने की विधि क्या होती है। आज अनेकों प्रयासों से कई छात्र इस विधा में पारंगत हो चुके हैं। कुछ Students ने तो इन पांडुलिपियों के आधार पर Traditional Medicine System पर Research भी शुरू कर दी है। 

उन्होंने kaha कि सोचिए अगर ऐसा प्रयास देशभर में हो तो हमारा पुरातन ज्ञान केवल दीवारों में बंद नहीं रहेगा, वो, नई पीढ़ी की चेतना का हिस्सा बन जाएगा। इसी सोच से प्रेरित होकर, भारत सरकार ने इस वर्ष के बजट में एक ऐतिहासिक पहल की घोषणा की है ‘ज्ञान भारतम् मिशन’। इस मिशन के तहत प्राचीन पांडुलिपियों को Digitize किया जाएगा। फिर एक National Digital Repository बनाई जाएगी, जहां दुनियाभर के विद्यार्थी, शोधकर्ता, भारत की ज्ञान परंपरा से जुड़ सकेंगे। मेरा भी आप सबसे आग्रह है अगर आप किसी ऐसे प्रयास से जुड़े हैं, या जुड़ना चाहते हैं, तो MyGov या संस्कृति मंत्रालय से जरूर संपर्क कीजिएगा, क्योंकि, यह केवल पांडुलिपियाँ नहीं है, यह भारत की आत्मा के वो अध्याय हैं, जिन्हें हमें आने वाली पीढ़ियों को पढ़ाना है।

By Pooja Patel

प्रोड्यूसर एंड सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप हैदराबाद, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, भास्कर भूमि, राजस्थान पत्रिका में 14 वर्ष का कार्यानुभव

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