रायपुर -हरियाली अमावस्या के मौके पर बस्तर की आराध्य देवी मां दन्तेश्वरी मन्दिर के सामने पाट जात्रा पूजा विधान के साथ ही विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व शुरू हो गया। बस्तर दशहरा पर्व के इस प्रथम पूजा विधान में बस्तर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप, जगदलपुर विधायक किरण देव, महापौर संजय पाण्डे सहित अन्य जनप्रतिनिधियों और बस्तर दशहरा पर्व समिति के पारंपरिक सदस्य मांझी-चालकी, मेम्बर-मेम्बरीन, पुजारी-गायता, पटेल, नाईक-पाईक, सेवादारों के साथ ही बड़ी संख्या में जनसमुदाय शामिल हुए.
75 दिनो तक चलेगा बस्तर दशहरा
बस्तर दशहरा पर्व के पहले पूजा विधान पाट जात्रा में रथ निर्माण के लिए बनाए जाने वाले औजार ठुरलू खोटला तथा अन्य औजारों का परम्परागत तरीके से पूजा-अर्चना कर रस्म पूरी की गयी। इसके साथ ही बस्तर दशहरा पर्व शुरू हो गया, जो इस वर्ष करीब 75 दिवस की अवधि तक पूरे आस्था, श्रद्धा और हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाएगा।

बस्तर दशहरा के प्रमुख पूजा विधानों की तिथि
5 सितम्बर को डेरी गड़ाई पूजा विधान, 21 सितम्बर को काछनगादी पूजा विधान, 22 सितम्बर को कलश स्थापना पूजा विधान,23 सितम्बर को जोगी बिठाई पूजा विधान की जाएगी. 24 सितम्बर से 29 सितम्बर तक प्रतिदिन नवरात्रि पूजा एवं रथ परिक्रमा पूजा की जाएगी, 29 सितम्बर को सुबह 11 बजे बेल पूजा, 30 सितम्बर को महाअष्टमी पूजा विधान एवं निशा जात्रा पूजा विधान, 1 अक्टूबर को कुंवारी पूजा विधान, जोगी उठाई पूजा विधान एवं मावली परघाव, 2 अक्टूबर को भीतर रैनी पूजा विधान एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान, 3 अक्टूबर को बाहर रैनी पूजा विधान एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान, 4 अक्टूबर को काछन जात्रा पूजा विधान एवं मुरिया दरबार होगा। वहीं 5 अक्टूबर को कुटुम्ब जात्रा पूजा विधान में ग्राम्य देवी-देवताओं की विदाई होगी और 7 अक्टूबर को मावली माता की डोली की विदाई पूजा विधान के साथ ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व सम्पन्न होगी।
