बिलासपुर- हाईकोर्ट ने मंदिर से जुड़े मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है की पुजारी मंदिर की संपत्ति का मालिक नहीं होता वह पूजा-पाठ और समिति प्रबन्धन के लिए एक प्रतिनिधि नियुक्त होता है।यह निर्णय न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की एकलपीठ ने सुनाया.
यह मामला धमतरी जिले के श्री विंध्यवासिनी मां बिलाईमाता मंदिर का है.मंदिर के पुजारी परिषद अध्यक्ष मुरली मनोहर शर्मा ने याचिका दायर की थी। शर्मा ने मंदिर ट्रस्ट की संपत्ति पर अपना अधिकार जताते हुए राजस्व रिकॉर्ड मे अपना नाम दर्ज करने की मांग की थी।
विवाद की शुरुआत तब हुई जब मुरली मनोहर शर्मा ने तहसीलदार के समक्ष आवेदन देकर अपना नाम मंदिर ट्रस्ट के रिकॉर्ड में दर्ज करने की मांग की थी। तहसीलदार ने उनके पक्ष में आदेश जारी किया, लेकिन एसडीओ ने इस आदेश को रद्द कर दिया। इसके खिलाफ शर्मा ने अपर आयुक्त रायपुर के समक्ष अपील की, जो खारिज कर दी गई। इसके बाद उन्होंने राजस्व मंडल में पुनरीक्षण दाखिल की, जिसे भी खारिज कर दिया गया।
शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर यह दलील दी थी कि तहसीलदार का आदेश न्यायोचित था और अन्य अधिकारियों ने मामले की सही समीक्षा नहीं की।
