नई दिल्ली। आज भारत सरकार द्वारा OPERATION सिंदूर को लेकर प्रेस वार्ता की गई। जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भारत द्वारा की गई कार्यवाही के बारे में जानकारी दी गई। इस प्रेस वार्ता को शुरु करने से पहले एक वीडियो प्रस्तुत किया गया जिसमें बताया गया कि कैसे भारत पर आतंकवाद के जरिए अक्सर हमला होता रहा है। इससे भारत के कई नागरिकों की जान गई है और कई लोग घायल हुए हैं। लश्करे तैयबा से संबंधित आतंकवादियों ने भारतीय पर्यटकों पर हमला किया। मुंबई के 26 नवंबर 2008 के बाद से यह सबसे गंभीर हमला था। इस हमले का उद्देश्य भारतीय पर्यटन और कश्मीर के विकास को रोकना सांप्रदायिक दंगे फैलाना था। एक विशेष समूह ने इसकी पूरी जिम्मेदारी ली थी। जिसे टीआएफ के नाम से जाना जाता है। 25 अप्रैल को यूएन सिक्योरिटी कांन्फ्रेस को टीआरएफ की इस कृत्य से अवगत कराया गया था।
लश्कर ए तैयबा द्वारा किए गए रिपोस्ट से इसकी पुष्टि हुई थी। इस हमले की रूपरेखा भारत के सीमा पार पाकिस्तान के लंबे रिकार्ड से जुड़ी हुई है। पाकिस्तान आतंकवाद की शरणस्थलि बन चुका है। विश्व और फाइनेंसियल टास्कफोर्स में को गुमराह करने के नाम पर भी पाकिस्तान जाना जाता है।
जम्मू कश्मीर के साथ साथ पूरे भारत में इस हमले से आक्रोश था। भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ उठाए गए कदमों से आप सभी अवगत हैं। हमलों के एक पखवाड़े के बाद भी आतंकवादियों के इंफ्रास्कचर को लेकर पाकिस्तान ने कभी कोई कदम नहीं उठाया। हमारी खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिया था कि भारत के खिलाफ आगे भी हमला हो सकता है। इसी वजह से भारत ने आज सुबह इस कार्यवाही के लिए अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग किया। यह हमला विश्व में फैल रहे आतंकवाद को अक्षम बनाने के लिए जरूरी था। भारत की इस कार्यवाही को इसी संदर्भ में देखा जाए।
कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंग ने 7 मई को अंजाम दिए गए आॅपरेशन सिंदूर के बारे जानकारी दी। 9 टेरिस्ट कैंप को टारगेट कर बर्बाद किया गया। पाकिस्तान में तीन दशकों से आतंकवाद को प्रश्रय दिया जा रहा था। जो पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर पर थे। ये सभी आतंकवाद के ट्रेनिंग एरिया थे। इन लक्ष्यों का चयन विश्वसनीय इंटेलिजेंस सुविधाओं के द्वारा किया गया। इस हमले में यह विशेष रूप से ध्यान दिया गया कि पाकिस्तानी नागरिकों को इससे कोई क्षति नहीं हुई है। सबसे पहले सवाई नाला कैंप मुजफराबाद, सोनमर्ग, गुलमर्ग, पहलगाम के आतंकियों ने यही से प्रशिक्षण लिया था। सैयाना बिलाल कैंप जंगल सरवाइवर ट्रेनिंग का एरिया था। लश्कर ए तैयबा का बेस था । पूंछ और तीर्थयात्रियों के बस का हमला इसी ट्रेनिंग सेंटर ने किया था। बरनाला कैंप हथियाल जंगल सरवाइवर केंद्र यहां हथियार रखे जाते थे।, गुरबुल कैंप कोटली, अब्बास कैंप कोटली एलओसी 13 किलोमीटर दूर। लश्कर ए तैयबा का फिदायिन यहां तैयार होते थे। कैंप सियालकोट
अंतराष्ट्रीय सीमा से 6 किलोमीटर दूर। मार्च 2025 में जम्मू कश्मीर के पुलिस को मारने वाले आतंकवादी यही से थे। सियालकोट महमूदा जाया कैंप हिजबुल मुजाहिददीन का सबसे बड़ा कैंप था।
मरकस तायबा मुरीकैन इस कैंप में 2008 के मुंबई हमले और अजमल कसाब डेविड हेडली यही से ट्रेंड हुए थे।
मरकस सुभान अल्लाह एलओसी 100 किलोमीटर अंदर था जिस पर कार्यवाही हुई है।
किसी भी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया है न ही नागरिक क्षति हुई है।
