बीजापुर। कर्रेगुट्टा पहाड़ी जो कभी नक्सलियों का गढ़ हुआ करती थी। आज भारतीय जवानों ने वहां झंडा फहरा दिया है और अब यह पहाड़ी बीएसएफ के कब्जे में हैं। जवानों की इस जीत का वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है। पीपुल्स लिबरेशन गेरिला आर्मी के नक्सलियों का गढ़ मानी जाने वाली ये पहाड़ी अब बीएसएफ के आधीन है। 9 दिनों के आॅपरेशन में समुद्र तल से 5 हजार फीट की उंचाई पर आॅपरेशन को सफलता पूर्वक अंजाम देना काफी कठिन होता है। क्योंकि दुश्मन उपर होता है और पहाड़ी से निचले इलाकों में उसकी पूरी नजर होती है। ऐसे में जवानों का इस तरह पहाड़ी पर कब्जा होना कगार का सफलतम चरण माना जा रहा है। इस क्षेत्र में करीब 1000 से अधिक नक्सली छिपे थे। वहीं हिडमा, आजात, सुजाता, देवधर जैसे नामी नक्सली भी इसी पहाड़ी से अपने नक्सली वारदातों को अंजाम देते थे। माना जा रहा है कि इस अभियान में बीएसएफ, एसटीएफ, कोरबा बटालियन, सीआरपीएफ, छत्तीसगढ़, तेलंगाना की पुलिस हिस्सा ले रही है।
बीएसएफ टीम नक्सली कंमाडरों की तलाश पर है। इधर तेलंगाना की ओर से नक्सलियों के साथ समझौते और शांति वार्ता के दौर की वजह से अभियान को सफलता पूर्वक संचालित करने में दिक्कतेें आ रहीं है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी कांग्रेस पार्टी से हैं। हाल ही में कुछ संगठनों ने उनसे नक्सलियों के साथ शांतिवार्ता स्थापित करने की बात कही है। वहीं उड़ती खबरें यह भी हैं कि कांग्रेस की आलाकमान उन पर इस अभियान में शांतिवार्ता का दबाव बना रही है। भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री साय, गृहमंत्री अमित शाह के निर्देशानुसार, 2026 तक छत्तीसगढ़ के पूर्णत नक्सलवाद समाप्त करने की राह पर है। ऐेसे में तेलंगाना द्वारा अभियान के बीच में जब सेना पूरी तरह सफलता की ओर अग्रसर है शांति वार्ता की रूख करना अभियान में रूकावट ला सकता है। इसे लेकर कई भाजपा नेताओं ने ऐसे संगठनों की निंदा की है। आरोप-प्रत्यारोप के प्रकरण चालू हो गए हैं। कई नेता नामी नक्सलियों के भागने पर भी तेलंगाना सरकार की नक्सलियों के प्रति नरम रूख को वजह ठहरा रहे हैं।

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By Pooja Patel

प्रोड्यूसर एंड सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप हैदराबाद, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, भास्कर भूमि, राजस्थान पत्रिका में 14 वर्ष का कार्यानुभव

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