कराड नगर परिषद दे रहा नई सीख


न्यूज डेस्क। देश में कचरा प्रबंधन आज सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती है सैनेटरी पैड का निष्पादन। इस्तेमाल के बाद खुले में ऐसे ही फेंके जाने वाले सैनेटरी पैड के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरुक कर महाराष्ट्र के कराड शहर ने नई
मिसाल कायम की है। नगर परिषद कराड आज पूरे देश के लिए सैनेटरी पैड निष्पादन की सीख दे रहा है।
शहर में कचरा संग्रहण वाहन में सैनिटरी कचरे के संग्रह के लिए एक अलग से डिब्बा होता है। इसका उचित निपटान सुनिश्चित करने को सफाई कर्मचारी इस कचरे को अलग से इकट्ठा करते हैं, जिससे केवल उपयुक्त सामग्री को ही जलाया जा सके।


महिलाओं का बनाया गया संगठन
कराड नगर परिषद (केएमसी) ने महिलाओं के साथ मिलकर काम किया, जिससे महिला समूहों का गठन हुआ, जिन्होंने आवासीय क्षेत्रों में उचित सैनिटरी अपशिष्ट निपटान और पृथक्करण के बारे में जागरुकता बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई। इसे सुविधाजनक बनाने को शहरभर के सार्वजनिक शौचालयों में अलग-अलग लाल डिब्बे लगाए गए हैं, जिससे महिलाओं के लिए सैनिटरी कचरे का जिम्मेदारी से निपटान करना आसान हो गया है।


फेंकने से पहले कागज में लपेटने की सीख
ये संगठन स्कूलों को सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन और निपटान प्रणाली स्थापित करने के लिए भी प्रोत्साहित करती हैं। इसके अतिरिक्त शहर की आईईसी टीम स्वच्छतापूर्ण निपटान प्रथाओं को बढ़ावा देती है। इस दौरान महिलाओं और बच्चों को जागरूक किया जाता है कि वह सैनेटरी पैड के उपयोग के बाद सैनिटरी पैड को कचरे में डालने से पहले उन्हें कागज में लपेट कर डालें।


कचरे को उच्च तापमान में किया जाता है नष्ट
आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, कराड नगर में घरों, अस्पतालों अन्य स्थानों से करीब 300-350 किलोग्राम सैनेटरी पैड का कचरा इक्ट्ठा किया जाता है। इस कचरे को कचरा संग्रहण वाहन में एक अलग डिब्बे में इक्ट्ठा किया जाता है। इस कचरे को छांटकर कराड अस्पताल संघ द्वारा उच्च तापमान की एक मशीन में जलाया जाता है। इससे निकलने वाली गैस को फिल्टर किया जाता है। यह सभी कार्य राज्य प्रदूषक नियंत्रक बोर्ड की निगरानी में होता है। इस कचरे के निस्पादन के लिए कराड नगर परिषद और कराड अस्पताल एसोसिएशन मिलकर काम करती है।


रूका है बीमारियों का प्रसार
कराड शहर में बेहतर सैनिटरी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों मामले में सकारात्मक प्रभाव डाला है। इसने कराड नगर परिषद पर वित्तीय बोझ को कम कर दिया है। सैनिटरी कचरे के उच्च तापमान पर भस्मीकरण ने स्वास्थ्य जोखिम और प्रदूषण को बहुत कम कर दिया है। इससे कचरे को संभालने वाले सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हुई है। सैनिटरी कचरे के खुले में डंपिंग को खत्म करके शहर ने पर्यावरण क्षरण को भी रोका है और इससे बीमारियों का प्रसार भी रुका है।

By Pooja Patel

प्रोड्यूसर एंड सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप हैदराबाद, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, भास्कर भूमि, राजस्थान पत्रिका में 14 वर्ष का कार्यानुभव

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