नई दिल्ली| नई दिल्ली के विज्ञान भवन में नवकार महामंत्र दिवस का उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्यों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवकार मंत्र के गहन आध्यात्मिक अनुभव साझा किए। उन्होंने नवकार मंत्र के महत्व को रेखांकित किया और इसके पवित्र छंदों का पाठ करते हुए मंत्र को ऊर्जा का एकीकृत प्रवाह बताया। उन्होंने कहा कि यह स्थिरता, समभाव और चेतना एवं आंतरिक प्रकाश की सामंजस्यपूर्ण लय का प्रतीक है।

आस्था का मूल और जीवन का सार
अपने व्यक्तिगत अनुभव पर विचार व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे वे अपने भीतर नवकार मंत्र की आध्यात्मिक शक्ति को महसूस करते हैं। प्रधानमंत्री ने गुजरात में अपनी मातृभूमि पर चर्चा करते हुए कहा कि यहां हर गली में जैन धर्म का प्रभाव स्पष्ट है। प्रधानमंत्री ने बताया कि किस प्रकार से उन्हें छोटी उम्र से ही जैन आचार्यों की सुसंगति में रहने का सौभाग्य मिला। उन्होंने कहा कि नवकार मंत्र केवल एक मंत्र नहीं है, बल्कि आस्था का मूल और जीवन का सार है। यह आध्यात्मिकता से परे है, व्यक्तियों और समाज का समान रूप से मार्गदर्शन करता है। इसका हर छंद और यहां तक कि हर शब्दांश भी सार्थक भाव रखता है। उन्होंने कहा कि मंत्र का पाठ करते समय, व्यक्ति पंच परमेष्ठी को नमन करता है और इसी विषय पर विस्तार से चर्चा की।


जैन धर्म में 9 अंक की प्रमुखता

मोदी ने कहा कि नवकार मंत्र का पाठ करते समय 108 दिव्य गुणों को नमन किया जाता है और मानवता के कल्याण का स्मरण किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह मंत्र हमें याद दिलाता है कि ज्ञान और कर्म ही जीवन की सच्ची दिशाएं हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नवकार मंत्र वास्तव में मानव ध्यान, अभ्यास और आत्म-शुद्धि का मंत्र है। मोदी ने भारतीय संस्कृति में 9 अंक के विशेष महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने जैन धर्म में 9 अंक की प्रमुखता के बारे में विस्तार से बताया, नवकार मंत्र, 9 तत्वों और 9 गुणों का उल्लेख किया, साथ ही अन्य परंपराओं जैसे कि 9 कोष, 9 द्वार, 9 ग्रह, दुर्गा के 9 रूप और नवधा भक्ति में इसकी उपस्थिति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मंत्रों का दोहराव चाहे 9 बार हो या 9 के गुणकों में जैसे 27, 54 या 108 – संख्या 9 द्वारा दर्शाई गई पूर्णता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने समझाया कि संख्या नौ केवल गणित नहीं बल्कि एक दर्शन है, क्योंकि यह पूर्णता का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा कि पूर्णता प्राप्त करने के बाद, मन और बुद्धि स्थिर हो जाती है और प्रत्येक इच्छा से मुक्त होकर ऊपर उठती है।


वापस लाई गई 20 से अधिक तीर्थंकरों की मूर्तियां

भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण महोत्सव के राष्ट्रव्यापी उत्सव का स्मरण करते हुए, मोदी ने विदेशों से तीर्थंकरों सहित प्राचीन मूर्तियों की वापसी का उल्लेख किया। उन्होंने गर्व के साथ साझा किया कि हाल के वर्षों में 20 से अधिक तीर्थंकरों की मूर्तियां भारत वापस लाई गई हैं। उन्होंने देश भर में लाखों पांडुलिपियों का सर्वेक्षण करने और प्राचीन विरासत को डिजिटल बनाने की योजना साझा की, जिससे प्राचीनता को आधुनिकता से जोड़ा जा सके। उन्होंने इस पहल को ‘अमृत संकल्प’ बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि नया भारत आध्यात्मिकता के साथ विश्व का मार्गदर्शन करते हुए एआई के माध्यम से संभावनाओं की खोज करेगा।

जैन धर्म वैज्ञानिक और संवेदनशील

प्रधानमंत्री ने कहा कि जैन धर्म वैज्ञानिक और संवेदनशील दोनों है, जो अपने मूल सिद्धांतों के माध्यम से युद्ध, आतंकवाद और पर्यावरण संबंधी मुद्दों जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करता है। मोदी ने सामूहिक नवकार मंत्र के जाप के बाद सभी से नौ संकल्प लेने का आग्रह किया। इनमें पहला संकल्प ‘जल संरक्षण’ था। उन्होंने बुद्धि सागर महाराज जी के शब्दों को याद किया, जिन्होंने 100 साल पहले भविष्यवाणी की थी कि पानी दुकानों में बेचा जाएगा। उन्होंने पानी की हर बूंद का महत्व समझने और उसे बचाने की आवश्यकता पर बल दिया। दूसरा संकल्प ‘एक पेड़ मां के नाम पर लगाने’ का है। उन्होंने हाल के महीनों में 100 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए जाने का उल्लेख करते हुए सभी से अपनी मां के नाम पर एक पेड़ लगाने और उनके आशीर्वाद की तरह उसका पालन-पोषण करने का आग्रह किया। हर गली, मोहल्ले और शहर में स्वच्छता के महत्व पर बल देते हुए, सभी से इस मिशन में योगदान देने का आग्रह करते हुए, मोदी ने तीसरे संकल्प के रूप में ‘स्वच्छता मिशन’ का उल्लेख किया। ‘वोकल फॉर लोकल’ चैथा संकल्प है, उन्होंने स्थानीय रूप से निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने, उन्हें वैश्विक बनाने और उन वस्तुओं का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिनमें भारतीय मिट्टी और भारतीय श्रमिकों के पसीने की खुशबू है। पांचवां संकल्प ‘भारत की खोज’ है और उन्होंने लोगों से विदेश यात्रा करने से पहले भारत के विविध राज्यों, संस्कृतियों और क्षेत्रों का पता लगाने का आग्रह किया, देश के हर कोने की विशिष्टता और मूल्य पर बल दिया। ‘प्राकृतिक खेती को अपनाना’ छठा संकल्प है। प्रधानमंत्री ने जैन सिद्धांत का उल्लेख किया कि एक जीव को दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए और धरती माता को रसायनों से मुक्त करने, किसानों का समर्थन करने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने सातवें संकल्प के रूप में ‘स्वस्थ जीवन शैली; का प्रस्ताव रखा और बाजरा (श्री अन्न) सहित भारतीय आहार परंपराओं की वापसी, तेल की खपत को 10 प्रतिशत कम करने और संयम एवं नियम के माध्यम से स्वास्थ्य बनाए रखने का समर्थन किया। उन्होंने आठवें संकल्प के रूप में ‘योग और खेल को शामिल करना’ प्रस्तावित किया और शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक शांति सुनिश्चित करने के लिए योग और खेल को घर, काम, स्कूल या पार्क कहीं भी दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने पर जोर दिया। हाथ थामकर या थाली भरकर जैसे भी हो वंचितों की सहायता करने के महत्व का उल्लेख करते हुए उन्होंने सेवा के सच्चे सार के रूप में ‘गरीबों की सहायता’ को नौवें और अंतिम संकल्प के रूप में प्रस्तावित किया।
उन्होंने कहा कि ये संकल्प जैन धर्म के सिद्धांतों और एक स्थायी एवं सामंजस्यपूर्ण भविष्य के दृष्टिकोण से सामंजस्य रखते हैं। उन्होंने कहा कि ये नौ संकल्प व्यक्तियों में नई ऊर्जा भरेंगे और युवा पीढ़ी को एक नई दिशा प्रदान करेंगे। इनके कार्यान्वयन से समाज में शांति, सद्भाव और करुणा को बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने देश भर में विभिन्न स्थानों पर प्राप्त हो रहे गुरु भगवंतों के आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त किया।
उन्होंने इस वैश्विक आयोजन के लिए पूरे जैन समुदाय को अपना सम्मान व्यक्त किया। उन्होंने आचार्य भगवंतों, मुनि महाराजों, श्रावक-श्राविकाओं और देश-विदेश से इस आयोजन में भाग लेने वाले सभी लोगों को अपना नमन किया। उन्होंने इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए जेआईटीओ को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी और गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी, जेआईटीओ के शीर्ष अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी, अध्यक्ष विजय भंडारी, अन्य जेआईटीओ अधिकारियों एवं दुनिया भर से आए गणमान्य लोगों की उपस्थिति को स्वीकार करते हुए इस उल्लेखनीय आयोजन की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।

By Pooja Patel

प्रोड्यूसर एंड सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप हैदराबाद, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, भास्कर भूमि, राजस्थान पत्रिका में 14 वर्ष का कार्यानुभव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *