डेस्क न्यूज। गणगौर पूजा राजस्थान का सबसे बड़ा त्योहार हैं। यू तो इस पूजा की शुरुआत होली के बाद से ही शुरु हो जाती है और 16 दिनों तक यानि नवरात्रि की तृतीया तक की जाती है। रोजमर्रा के इस आधुनिक युग कुछ महिलाएं व्यस्त होने के कारण पूरे 16 दिनों की पूजा नहीं कर पाती है। इस वजह से नवरात्रि की तृतीया के दिन श्रद्धा भाव से इसर जी और गौरा जी की यदि पूजा की जाए तो सोलह दिनों की पूजा का फल मिल जाता है। नवरात्रि की द्वितीया और तृतीया आज ही मानी जा रही है इसलिए गणगौर का व्रत महिलाएं आज ही रख रही हैं। अगर आप भी 16 दिनों तक पूजा नहीं कर पाई हैं तो इस विधि अनुसार सरल रूप में घर पर मां की पूजा और विसर्जन करें। आइए, गणगौर पूजा की विधि जानें।
मूहूर्त
31मार्च सुबह 9बजकर 11मिनट से 1अप्रैल शाम 5बजकर 42मिनट तक।
पूजा विधि –
यह पूजा स्वच्छ कपड़ों के साथ सोलह श्रृंगार कर करें ।
पूजा करने वाली जगह को गंगाजल और दूबे से छिड़काव करें।
पाटे पर लाल कपड़ा बिछाकर दूर्वे का आसन बिछाएं।
कलश स्थापना करें।
आसन पर इसर जी और गौरा जी को श्रृंगार कर बिठाएं।
-गणपति स्थापना कर गणपति को तिलक लगाएं। दूर्वा अर्पित करें।
-अब भगवान गणेश, इसर जी गौरा जी को लाल कलावा अर्पित करें। इसके बाद माता रानी को लाल पुष्प अर्पित करें।
-भगवान गणेश को जनेव अर्पित करें।
-गौरा माता को चुनरी एवं सुहाग के सामान अर्पित करें। पायल व बिछिया अर्पित करें। इत्र व धूप लगाएं।
-दक्षिणा रखें।
-16 गुना का प्रसाद अर्पित करें। ये मीठे गुड़ और आटा का बनाया जाता है।
-दीवार पर या पेपर पर हल्दी सिंदूर से स्वास्तिक बनाकर, 16 बिंदिया या टिका लगाएं। कुमारी कन्याएं आठ और सुहागनें 16 टिका लगाएं। ये टिका हल्दी, रोली, काजल और मेहंदी से लगाएं। कलावा अर्पित करें।
-मिटटी के पात्र में गंगाजल, कच्चा दूध, हल्दी, दूर्वा , सिक्के, पुष्प, चांदी के सिक्के डालें। इसका छिड़काव 16 बार भगवान गणेश, इसर जी गौरा जी और अपने सुहाग समान पर इसका छिड़काव करें। सिंदूर दानी रखें।
-हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर गणगौर पूजा की कथा पढ़ें। कथा सम्पन्न होने के बाद इसे भगवान को समर्पित कर दें।
-प्रार्थना करें की माॅं गौरा आपके व्रत को सफल बनाएं और पूजा में कोई भूल चूक हो तो क्षमा करें।
-आरती उतारें। हवन करें। साड़ी पल्लू से माता के पैर छुएं। सिंदूर दानी का सिंदूर उठा कर अपने साड़ी के आंचल से मां को 7 बार -सिंदूर लगाएं। फिर खुद लगाएं।
-आस-पास के शिव पार्वती मंदिर से आशीर्वाद लें।
-पति और सास-ससुर के पैर छुएं।
घर पर ऐसे करें विसर्जन
-पूजा के चार-पांच घंटे बाद विसर्जन करें।
-सभी जगह पर गंगा जल छिड़क कर। अपने साड़ी के आंचल में सिक्का लेकर मां गौरा को जल पिलाएं।
-घर पर विसर्जन करने के लिए एक पात्र में जल डालकर इसमें फूल और दूर्वा डालें। हल्दी कुमकुम रोली डालें। माता रानी और गणगौर को विसर्जित करें। विसर्जित मूर्ति की मिट्टी को आप किसी गमलें में डालकर पौधा लगा सकते हैं। तुलसी का पौधा न लगाएं ।
-सोलह टीकों का भी विसर्जन इसी जल में कर दें। विसर्जन में बताशे का भोग डालें।
-चरण छूकर क्षमा याचना करें। पूजा स्थल का पटा हिलाकर। सारी पूजन सामग्री उठा लें।
-विसर्जन के बाद सुहाग का सामान सुहागनों को अर्पित करें।
