डेस्क न्यूज। मां दुर्गा ने काली का रूप धारण कर रक्तबीज राक्षस का संहार किया था। रक्तबीज की बूंदे धरती पर जहां-जहां पड़ती थी उससे एक नया राक्षस उत्पन्न हो जाता था। मां काली ने जिस जगह पर रक्तबीज का वध किया था वह स्थान आज भी धरती पर मौजूद है जिसे कालीमठ के रूप में पूजा जाता है, यहां माता की देवी काली के रूप में विराजमान हैं।
शक्ति त्रिकोण रूप में विराजमान
उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग के गुप्तकाशी के पास स्थित कालीमठ की महिमा अपने त्रिखंड शक्ति के रूप में भी जानी जाती है। मान्यता है कि यहां देवी लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की शक्ति त्रिकोण रूप में विराजमान है, जो यहां आने वाले भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती है। काली घाटी के इस सिद्धपीठ का वर्णन स्कंदपुराण के केदारखंड में भी मिलता है। मार्केंडेय और देवी भागवत पुराण में भी कालीमठ का उल्लेख है। पहले यह मंदिर लकड़ी का बना हुआ था। जिसका जीर्णोद्धार कर अब इसे सीमेंट का बना दिया गया है।
