न्यूज डेस्क। होली के आठ दिन पहले के समय को होलाष्टक कहा जाता है। फागुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू होता है। इसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इस साल होलाष्टक 7 मार्च से शुरु होकर 13 मार्च को खत्म होगा। माना जाता है कि इस काल में ग्रहों की उग्रता की वजह से शुभ कार्य वर्जित होते हैं। मौसम में परिवर्तन भी हमारे शरीर में प्रभाव डालता है।
विभिन्न तंत्र क्रियाएं इसी दौरान की जाती हैं। नकारात्मक उर्जाओं का प्रभाव भी काफी ज्यादा होता है। इसीलिए इस दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है। मान्यता है कि होलाष्टक तिथी में ही भगवान शंकर ने कामदेव को भस्म कर दिया था।
होलाष्टक में विवाह, मुंडन संस्कार, नामकरण संस्कार, जनेउ संस्कार, हवन, यज्ञ गृह प्रवेश, किसी नई वस्तु जैसे सोना, चांदी, बर्तन, इलेक्ट्रानिक सामान की खरीदारी नहीं की जाती। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दौरान किए गए संस्कारों से अकाल मृत्यु का योग बनता है। इस तिथि में हुए विवाह संबंध विच्छेद कलह को उत्पन्न करते हैं। लंबी यात्रा करने से बचना चाहिए| यही नहीं वाहन चलाते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए।


होलाष्टक में यह करें –
-भजन एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें।
– विष्णु सहस़्त्रनाम का पाठ, शिव पुराण व विभिन्न पुराणों या धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करें।
– अन्न, धन, वस्त्र इत्यादि का दान करें।
-पितरों को तर्पण करने से इन दिनों में विशेष आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

By Pooja Patel

प्रोड्यूसर एंड सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप हैदराबाद, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, भास्कर भूमि, राजस्थान पत्रिका में 14 वर्ष का कार्यानुभव

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