डेस्क न्यूज। शेयर बाजार में लगातार पाॅंच महीनें से हो रही गिरावट ने पूूरे देश की आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी है। इस बाजार में अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा लगाने वाला युवा वर्ग लगातार हो रही इसकी गिरावट से हत्तोत्साहित है। 29 सालों में होने वाली इस सबसे बड़ी गिरावट को कोरोना काल और 2008 की मंदी से भी ज्यादा गहरा माना जा रहा है। 5 महीने से अब तक निवेशकों के 90 लाख करोड़ रूपए डूब चुके हैं।
इस साल की शुरुआत से यानी 1 जनवरी 2025 से 28 फरवरी 2025 तक अकेले नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी-50 इंडेक्स करीब 15 फीसदी तक नीचे गिर गया है। सितंबर 2024 से 28 फरवरी 2025 तक निवेशकों की लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर संपत्ति या रुपए में समझें तो 85 लाख करोड़ रुपए डूब गए हैं।
फरवरी ने रुलाया
फरवरी 2025 में ही सेंसेक्स 4000 अंकों से भी नीचे चला गया। फरवरी के 28 दिनों में ही बाजार 5 फीसदी से ज्यादा गिरा, इस अवधि में बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 40 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा घट गया। 28 फरवरी 2025 को ही सेंसेक्स 1414 अंकों की डुबकी लगाकर 73,198 में और निफ्टी 420 अंक गिरकर 22125 अंकों में बंद हुआ। मार्च के पहले सप्ताह में भी बाजार का गिरना लगातार जारी है।
म्यूचुअल फंडस बांध रहे ढांढस
अपनी गाढ़ी कमाई शेयर बाजार में लगाने वाले युवाओं के लिए म्यूचुअल फंड्स भी कोई फंड्रस नहीं जुटा पा रही है। नतीजा यह है कि हत्तोसाहित निवेशकों का मनोबल बढ़ाने के लिए म्यूचुअल फंड्स को सेलिब्रेटिज का सहारा लेना पड़ रहा है जो विज्ञापनों के जरिए निवेशकों को इन दिनों ढांढस बंधाते नजर आ रहे हैं। रिटेल निवेशकों से लेकर बड़े निवेशकों के लिए अच्छी कमाई तो दूर की बात है, शेयर पर लगाया गया मूलधन बचाना भी मुश्किल होता जा रहा है।
क्या यह विदेशी साजिश है
डालर के मुकाबले लगातार कमजोर होता जा रहा रुपया, विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार की जा रही बिकवाली समझ से परे हैं। कई विशेषज्ञ इसमें अपनी राय दे रहे कि विदेशी साजिशों और भारत को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए भारत के शेयर बाजार को गिराकर इसका पैसा विदेशी शेयर बाजारों में लगाया जा रहा है। इसमें कोई दो राय है भी नहीं, क्योंकि विश्व शेयर बाजार के इंडेक्स अगर देखें तो आपकों यह अंतर बिलकुल साफ नजर आएगा।
हम गिर रहे दूसरे चढ़ रहे
अक्टूबर 2024 से जहां भारतीय शेयर बाजार औंधे मुंह गिरे हैं, वहीं दुनिया के कई देशों के शेयर बाजारों ने आगे बढ़ते हुए जबदस्त छलांग लगाई है। दुनिया के शेयर बाजार को देखें तो अमेरिकी का डाओ जोंस इंडेक्स 30 सितंबर 2024 को 42,330 के स्तर पर था और 27 फरवरी 2025 को 43,240 के स्तर पर बंद हुआ। यानी इन करीब 5 महीनों में यह गिरा नहीं, बल्कि 910 अंक (2.14 प्रतिशत) चढ़ा है। इसी तरह चीन का बाजार शंघाई कंपोजिट 30 सितंबर 2024 को 3336 के स्तर पर था और 27 फरवरी 2025 को यह 3388 के स्तर पर बंद हुआ।
पिछले 5 महीनों में ये 52 अंक (1.55 प्रतिशत) चढ़ा है। हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स 30 सितंबर 2024 को 21,133 अंकों पर था और 27 फरवरी 2025 को यह 23718 के स्तर पर बंद हुआ।यह 2585 पॉइंट (12.23 प्रतिशत) चढ़ा है। जर्मनी का स्टॉक मार्केट डीएएक्स 30 सितंबर 2024 को 19324 के स्तर पर था और 27 फरवरी 2025 को यह 22378 के स्तर पर बंद हुआ। पिछले 5 महीनों में यह 3024 अंक (15.8 प्रतिशत) चढ़ा है। वहीं लंदन स्टॉक एक्सचेंज का एफटीएसई फाइनेंशियल टाईम्स स्टॉक एक्सचेंज-100 इंडेक्स जहां 30 सितंबर 2024 को 8,236 के स्तर पर था, वह 27 फरवरी 2025 को बढ़कर 8,756 के स्तर पर बंद हुआ यानी पिछले पांच महीनों में यह 520 पॉइंट (6.31 प्रतिशत) चढ़ा है। इससे पहले भारतीय बाजार 1995 में इतना गिरा था। तब लगातार 8 महीनों में बाजार में 31 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी।
अमेरिका के टैरिफ की आग
माना जा रहा है कि टैरिफ के मामले में अमेरिका ने कहा है कि भारत जितना टैरिफ अमेरिकी आयात पर लगाएगा, उतना ही टैक्स अमेरिका भारतीय आयात पर लगाएगा। इस धमकी ने भी भारत के शेयर बाजार को नुकसान पहुंचाया।
एलटीसीजी बना कारण
एक न्यूज संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार, एलटीसीजी यानि लांग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को शेयर मार्केट के गिरने का कारण माना जा रहा है। कैपिटल गेंस टैक्स निश्चित संपत्ति या शेयर पर लगाया जाता है। शेयर मार्केट के अनुसार, 12 महीने से अधिक वक्त तक किसी शेयर को रखने के बाद यदि बेचा जाता है तब यह टैक्स लगता है। कुछ बड़े निवेशकों द्वारा एक मीडिया ग्रुप को दी गई अपनी राय में मानना है कि दुनिया और भारत के सबसे बड़े निवेशक विदेशी सॉवरेन फंड्स, पेंशन फंड्स, यूनिवर्सिटीज और हाई नेट वर्थ के लाभ पर टैक्स लगाना, इस बिकवाली का कारण है, क्योंकि 2024-25 के केंद्रीय बजट में लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ कर को 10ः से बढ़ाकर 12.5ः कर दिया है। फाइनेंशियल सिक्योरिटीज पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को 15ः से बढ़ाकर 20ः कर दिया गया है। भारत को बाजार और विदेशी निवेशकों का सम्मान करने के लिए कैपिटल गेंस टैक्स को माफ कर देना चाहिए।
भारत सरकार कैपिटल गेंस टैक्स को शेयर बाजार के गिरने का कारण नहीं मानती है। सरकार का मानना है कि बाजार की गिरावट के लिए एलटीसीजी नहीं, बल्कि वैश्विक अनिश्चितताएं और ओवरवैल्यूड मार्केट में करेक्शन हैं। भारत सरकार की एंटी करप्सन ब्यूरो एसीबी सेबी पूर्व अध्यक्ष माधवी पुरी बुच और बाम्बे स्टाॅक एक्सचेंज पर कार्यवाही भी कर रही है। इसमें बड़े उद्योगपति अदानी ग्रुप पर भी उंगलियां उठीं। अदानी ग्रुप ने इस आरोप को अपनी ओर से खंडित किया है, लेकिन यह प्रकरण शेयर बाजार के इतने अधिक अंकों तक गिरने और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के लिए पर्याप्त कारण नहीं है। कुछ बु़द्धजीवी जो इसे बाजार के गिरने कारण बता रहे हैं, वह उनके मापदंड हैं।
क्या सरकार टैक्स में विदेशी निवेशकों को कोई राहत देगी! आने वाले दिनों में क्या बाजार अपने पिछले अंकों को प्राप्त कर सकेगा! यह वक्त ही बताएगा। इस आर्थिक कोरोना से बचने के लिए आम निवेशक सिर्फ बाजार के चढ़ने का इंतजार कर सकता है, क्योंकि उसके हाथ में धैर्य के अलावा कुछ भी नहीं है।
