नई दिल्ली (एजेंसी)। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की चिट्ठियों को लेकर विवाद ने जोर पकड़ लिया है। प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय के सदस्य रिजवान कादरी ने इन चिट्ठियों की वापसी के लिए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को पत्र लिखा है। कादरी ने इन दस्तावेजों को ‘भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा’ बताते हुए इन्हें संग्रहालय को लौटाने की अपील की हैं। यह पत्र उन 51 डिब्बों से संबंधित है, जिनमें नेहरू की चिट्ठियां और अन्य दस्तावेज कथित तौर पर 2008 में सोनिया गांधी के निर्देश पर संग्रहालय से ले जाए गए थे। इनमें वे चिट्ठियां भी शामिल हैं जिनको नेहरु ने एडविना माउंटबेटन के नाम लिखा था।
असल में रिजवान कादरी ने लिखा, ‘इन दस्तावेजों में पंडित नेहरू और लेडी एडविना माउंटबेटन, जयप्रकाश नारायण, पद्मजा नायडू और अन्य प्रमुख हस्तियों के बीच का पत्राचार शामिल है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि ये दस्तावेज सोनिया गांधी के पास हैं और राहुल गांधी से अनुरोध किया कि या तो वे इनकी मूल प्रतियां लौटाएं या डिजिटल प्रतियां उपलब्ध कराएं। इससे पहले, कादरी ने सितंबर 2024 में सोनिया गांधी को भी पत्र लिखा थाए लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला।)
रिजवान कादरी एक इतिहासकार भी है। उन्होंने इन दस्तावेजों की वापसी की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ये चिट्ठियां 1971 में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम को सौंपी गई थीं, जो अब प्रधानमंत्री संग्रहालय के रूप में जाना जाता हैं। उनका मानना है कि इन दस्तावेजों का अध्ययन और डिजिटलीकरण विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिए जरूरी है।
मामले में बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने इस विवाद पर कांग्रेस को घेरते हुए तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘इन चिट्ठियों में ऐसा क्या है जो गांधी परिवार नहीं चाहता कि देश के लोग जानें। सोनिया गांधी ने 2008 में संग्रहालय से 51 डिब्बों को ले जाने का आदेश दिया था, जिनमें नेहरू की चिट्ठियां थीं।’
उन्होंने राहुल गांधी से सवाल किया, ‘क्या वे अपनी मां से इन दस्तावेजों को लौटाने की अपील करेंग। जब 2010 में दस्तावेजों का डिजिटलीकरण करने का निर्णय लिया गया था, तो सोनिया गांधी ने इन चिट्ठियों को क्यों हटवाया? उन्होंने कांग्रेस पर पारदर्शिता के अभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि पंडित नेहरू ने लेडी एडविना माउंटबेटन और अन्य को क्या लिखा था।’
फिलहाल यह पूरा मामला चर्चा में है। प्रधानमंत्री संग्रहालय का कहना है कि ये दस्तावेज सार्वजनिक संपत्ति हैं और इनके संरक्षण और अध्ययन के लिए इन्हें संग्रहालय को लौटाना आवश्यक है। अब यह देखना होगा कि कांग्रेस और गांधी परिवार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।