नयी दिल्ली (एजेंसी)। कांग्रेस ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा राज्यों को लिखे गए पत्र को तोड़-मरोड़ कर पेश करके देश की जनता को गुमराह करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से माफी की मांग करते हुए सोमवार को सवाल किया कि राजग सरकार ने पिछले 11 साल में ऐसा कौन सा काम किया है जिससे हमारा लोकतंत्र और संविधान मजबूत हुआ है।
राज्यसभा में ‘भारतीय संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर चर्चा में हिस्सा ले रहे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री वर्तमान में नहीं, अतीत में जीते हैं। बेहतर होता कि वह लोकतंत्र को मजबूत करने वाली वर्तमान उपलब्धियों को सूचीबद्ध करते। उनकी सरकार ने पिछले 11 साल में ऐसा कौन सा काम किया है जिससे हमारा लोकतंत्र और संविधान मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा कि भाजपा संविधान का अलग मतलब निकालती है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जब संविधान को स्वीकार किया गया तो सभी को इसके तहत ही चलना चाहिए। एक दूसरे की खामियां निकाले जाने पर कई बातें निकलेंगी।
उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस वाले चाहते हैं कि संविधान मनु स्मृति जैसा हो। जो लोग भारत के राष्ट्रीय ध्वज से, हमारे अशोक चक्र से, हमारे संविधान से नफरत करते हैं, वह लोग आज हमें संविधान का पाठ पढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संसद सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथ चलती है।
उन्होंने कहा कि वह समतावादी भारत का सपना देखने वाले महानायकों को नमन करते हैं। 1931 में सरदार पटेल की अध्यक्षता में कराची में कांग्रेस के सम्मेलन में नेहरू ने मूल अधिकारों और आर्थिक नीतियों पर प्रस्ताव रखा था जो पारित हुआ था। नेहरू ने संविधान सभा की मांग को 1937 के चुनाव का केंद्रीय मुद्दा बना दिया था। महात्मा गांधी ने 25 नवंबर 1939 को बयान दिया था कि पंडित नेहरू ने उन्हें अन्य बातों के अलावा संविधान सभा से गठन उत्पन्न प्रभावों का अध्ययन करने के लिए विवश किया है। संविधान की रूपरेखा को महात्मा गांधी ने खुद स्वीकार किया था, लेकिन ‘‘आप सुबह शाम सबकी आलोचना करते रहते हैं। हमेशा कमियां निकालते रहना ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा ‘‘संविधान सत्ता का नैतिक मार्गदर्शक है और हमें उसका अनुसरण करना चाहिए।’’उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने देश के लिए आवाज ही नहीं उठाई, देश के लिए लड़ा ही नहीं, वह लोग क्या जानेंगे कि संविधान और आजादी क्या होती है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि काला धन विदेश से वापस ला कर एक एक व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपये देने का वादा, हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा, किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा क्या झूठ नहीं था ? ‘‘भाजपा लोगों को भ्रमित करने के लिए जुमले देती है और इल्जाम हम पर लगाते हैं।’’
उन्होंने कहा कि सबको पता है कि जब देश को आजादी मिली तब देश के क्या हालात थे। लेकिन पिछले 70 साल में देश ने बहुत तरक्की की। लेकिन आप कहते हैं कि पिछले 55 साल आपने क्या किया ? अगर हम कुछ नहीं करते तो आप उस जगह पर नहीं होते जहां आप हैं। इसके पीछे पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल की अथक मेहनत है, आपकी नहीं।
उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम, मनरेगा और शिक्षा का अधिकार अधिनियम कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार ले कर आई और आज भी गरीबों के लिए यह मददगार हैं। यहां तक कि कोविड काल में मनरेगा मजदूरों का सबसे बड़ा सहारा था।
आरक्षण के मुद्दे का जिक्र करते हुए खरगे ने दावा किया कि इसके लिए संविधान में संशोधन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था। ‘‘क्या उन्होंने गलत किया था ? फिर सत्ता पक्ष इस बारे में असत्य कहते हुए नेहरू को आरक्षण विरोधी क्यों कहता है ? क्या यह झूठ फैलाना उचित है ? हम कहते हैं कि भाजपा आरक्षण विरोधी है और इसीलिए वह जाति आधारित जनगणना कराने के खिलाफ है।’’
खरगे ने कहा कि आज महिलाओं को जो आरक्षण मिल रहा है, वह कांग्रेस की वजह से मिल रहा है, क्योंकि महिलाओं के सशक्तीकरण के पीछे कांग्रेस की अहम भूमिका है। उन्होंने दावा किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो भाजपा की तुलना में अधिक तेजी से महिला आरक्षण को लागू करेगी।
खरगे ने कहा कि बेबुनियाद बातों से इतिहास बदल नहीं सकता, जो सत्य है वह सत्य है और जो असत्य है, वह असत्य है। प्रधानमंत्री ने राजपथ का नाम बदल कर कर्तव्यपथ तो रख दिया लेकिन अपना कर्तव्य वह भूल गए। उन्होंने सत्ता पक्ष पर विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विपक्ष में रहते हुए जिन नेताओं पर बड़े आरोप लगे, वे भाजपा में जाते हैं तो उन पर लगे आरोप नदारद हो जाते हैं।
खरगे ने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि अमीर अमीर बनते जा रहे हैं और गरीब गरीबी से उबर नहीं पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ‘‘लौह महिला’’ कहलाने वाली पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े किए थे और बांग्लादेश अस्तित्व में आया था। ‘‘हमारी सेनाओं और मुक्ति वाहिनी के अदम्य साहस को पूरी दुनिया ने देखा। वहां के अल्पसंख्यकों को बचाने के लिए यह बात बांग्लादेश के लोगों को बताना चाहिए।
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