न्यूज डेस्क। छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया ऐ बोले भर के आए या सच में सबे छत्तीसगढ़िया में अपन धरती बर सम्मान हे।
रविवार को रायपुर के तेलीबांधा चौक पर छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति को खंडित कर दिया गया। इसके बाद पूरे छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ के अपमान को लेकर विवाद छिड़ता और गहरा होता दिखाई दे रहा है। इससे पहले भी महादेव घाट में आरती और अन्य संस्कृतियों को छत्तीसगढ़ में तवज्जों देने की बातें अक्सर चर्चा का विषय बनी रही हैं। कुछ समूहों द्वारा गहराते प्रदर्शन के चलते छत्तीसगढ़ प्रशासन को आनन-फानन में आज सुबह नई मूर्ति लगानी पड़ी। एक युवक को आरोपी के रूप में भी पकड़ा गया है। इसके बाद से यह विवाद, और सवाल खड़ा करता जा रहा है कि अपनी ही भूमि में हम अपनी ही महतारी का अपमान कब तक सहते रहेंगे। क्यों, छत्तीसगढ़ की अस्मिता को ठेस पहुंचाने वालों के लिए कोई कठोर कानून नहीं है। यही घटना अगर अन्य या हमारे पड़ोसी राज्य में हुई होती तो यह विवाद भयंकर रूप ले लेता। यहां इसे लेकर एक तरफ जहां छत्तीसगढ़िया सहनशील दिखाई देता है, वही अपनी ही भूमि पर अपने और अपनी संस्कृति के सम्मान के लिए लड़ता नजर आता है, क्योंकि लोगों को पहले छत्तीसगढ़ी भाषा को लेकर अपने अंदर की जो शर्म और झिझक है उसे दूर करना होगा। समझना होगा कि जब मराठी, बंगाली, गुजराती, भोजपुरी, कन्नड़, तेलुगु अपनी संस्कृति और अपनी भाषा को किसी भी राज्य या विदेश तक में नहीं छोड़ते तो हम क्यों पीछे हटें! क्यों हम घर से बाहर निकलते और स्कूल काॅलेज में अपनी भाषा को भूल जाते हैं! क्यों हम अतिथि को सम्मान देने के चक्कर में अपने राज्य अपनी संस्कृति के आत्मसम्मान की धज्जियां उड़ाए जाने पर कठोर और उचित कार्रवाई नहीं कर पाते!

यहां हमारा कहना ये नहीं है कि छत्तीसगढ़ के सम्मान के लिए दूसरे राज्यों के उपद्रवियों की तरह सड़कों पर निकल आइए, और राज्य की संपत्ति को नुकसान पहुंचाइए। अरे यही तो एक छत्तीसगढ़िया की खूबसूरती है कि वह सहनशील है और देश के अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ियों में एकता कूट-कूट कर भरी है। लेकिन राज्य और संस्कृति के सम्मान के लिए हमें आगे आना होगा| यह समझना होगा कि एक सुसंस्कृत तरीके से हम अपना पक्ष रख सकते हैं और राज्य के सम्मान की लड़ाई लड़ सकते हैं। सिर्फ हैसटैग वाले सोशल मीडिया की लाइन नहीं, बल्कि सही कानून और नियमावली के साथ हमें अपनी महतारी के सम्मान की रक्षा करनी होगी। इसके लिए कठोर कानून की रूपरेखा भी आवश्यक होगी ताकि फिर कोई ऐरा-गैरा, नत्थू-खैरा छत्तीसगढ़ के सम्मान को ठेस न पहुंचा सके।
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