CG में 376
New Delhi| केंद्र सरकार द्वारा कृषि कार्यों की माॅनिटरिंग के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को अब तक पूरे देश भर के राज्यों में करीब 15 हजार से ज्यादा ड्रोन वितरित किए गए हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाओें को इन ड्रोन के संचालन करने की प्रक्रिया सिखाई जाती है, जिससे वह फसलों की देख-रेख करने के साथ उन पर होने वाले रोगों और आधुनिक पद्धति से फसल से बेहतर उपज लेने में सहायक सिद्ध हो रही है।
सरकार ने केंद्रीय क्षेत्रक योजना नमो ड्रोन दीदी के अंतर्गत वर्ष 2023 से 2026 की अवधि के लिए 1261 करोड़ रुपये की लागत से 15,000 ड्रोन प्रदान करने के लिए मंजूरी दी है। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य बेहतर दक्षता, बढ़ी हुई फसल उपज और संचालन की कम लागत के लिए कृषि में उन्नत तकनीक को बढ़ावा देना है। ताकि महिला समूहों कि आय बढ़े और उन्हें आजीविका चलाने में सहायता की जा सके। इस योजना के अंतर्गत, चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन पैकेज की लागत के 80ः की दर से अधिकतम 8.00 लाख रुपये तक की केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान की जाती है। ड्रोन पैकेज के एक भाग के रूप में स्वयं सहायता समूहों के एक सदस्य को 15 दिन का ड्रोन पायलट प्रशिक्षण तथा स्वयं सहायता समूहों के अन्य सदस्य परिवार के सदस्य को 5 दिन का ड्रोन सहायक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
प्रमुख उर्वरक कंपनियों (एल.एफ.सी.) ने अपने आंतरिक संसाधनों का उपयोग करते हुए वर्ष 2023-24 में स्वयं सहायता समूहों की ड्रोन दीदियों को 1094 ड्रोन वितरित किए हैं। इन 1094 ड्रोनों में से 500 ड्रोन नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत वितरित किए गए हैं। इन स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा अधिकृत विभिन्न रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन (आरपीटीओ) में ड्रोन पायलट के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। राज्य सरकारों को की गई शेष 14500 ड्रोन के आवंटन की सूचना अनुबंध-2 पर दी गई है।
कृषि विकास एवं ग्रामीण परिवर्तन केंद्र (एडीआरटीसी), बैंगलोर ने ड्रोन संचालन की आर्थिक और व्यावसायिक व्यवहार्यता पर एक अध्ययन किया है। अध्ययन रिपोर्ट यह भी बताती है कि 42.68 प्रतिशत ड्रोन दीदियों को परिवहन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
ड्रोन परिवहन के मुद्दे को हल करने के लिए, कृषि मशीनीकरण उप-मिशन (एसएमएएम) के तहत नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत चिन्हित किए गए महिला एस.एच.जी. को 80ः की दर से वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है, जिनका उपयोग ड्रोन परिवहन के रूप में भी किया जा सकता है।

अध्ययन यह भी दर्शाता है कि एस.एच.जी. मुख्य रूप से कृषि और संबद्ध गतिविधियों में लगे हुए थे और उन्हें प्रदान किए गए ड्रोन ने ड्रोन तकनीक के माध्यम से आधुनिक कृषि पद्धतियों तक उनकी पहुँच बढ़ी है, जिससे उनकी दक्षता और उत्पादकता में वृद्धि हुई है। कुल मिलाकर, ड्रोन को अपनाने से स्वयं सहायता समूह की गतिविधियों में विविधता आई है, कृषि पद्धतियों में सुधार हुआ है, तथा ग्रामीण समुदायों में महिलाओं के लिए आय के अवसर बढ़े हैं।
छत्तीसगढ़ को 376 ड्रोन
ड्रोन दीदी योजना के तहत छत्तीसगढ़ की महिला स्वयं सहायता समूहों को पहले चरण में 15 और दूसरे चरण में 361 ड्रोन प्राप्त हुए हैं।

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