केसर यहां की विशेषता है, पहचान है, इसलिए टिश्यू कल्चर लैब, नर्सरी की स्थापना केंद्र सरकार यहां करेगी, जिससे उत्पादन बढ़ेगा। ‘राष्ट्रीय केसर मिशन’ में जम्मू कश्मीर की विशिष्टताओं को देखते हुए संशोधन की आवश्यकता है।

श्रीनगर। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज श्रीनगर स्थित राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला के साथ कृषि व ग्रामीण विकास के संबंध में विस्तारपूर्वक समीक्षा बैठक की। बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है विकसित भारत का निर्माण, और विकसित भारत के लिए विकसित जम्मू-कश्मीर जरूरी है।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि कृषि आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था की और जम्मू-कश्मीर की भी रीढ़ है। जम्मू-कश्मीर में तो कृषि और भी ज्यादा लोगों को रोजगार देती है। मुख्यमंत्री के साथ बैठकर हमने कई मुद्दों पर चर्चा की है। जम्मू-कश्मीर की एक पहल ‘किसान खिदमत घर’ यह बहुत अच्छी पहल है, जहां एक ही स्थान पर किसानों को कृषि से संबंधित सारी सुविधाएं दी जाती हैं।

रोगरहित-बीमारियों से मुक्त प्लांट मिले
कृषि मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में बागवानी की कई फसलें होती हैं। सेब, बादाम, अखरोट जम्मू-कश्मीर के किसान मेहनत से पैदा करते हैं, लेकिन एक समस्या यह है कि बागवानी के लिए जो प्लांट लाते हैं, कई बार दो-तीन साल बाद पता चलता है कि उनमें कोई वायरस-बैक्टीरिया आ गया, वे खराब निकल जाते हैंै।
श्रीनगर में केंद्र सरकार की एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) योजना के तहत 150 करोड़ रुपए लागत का सेंट्रल इंस्टिट्यूट-क्लीन प्लांट सेंटर बनाया जाएगा। इसमें सेब, बादाम, अखरोट, बेरी पर काम होगा, जब क्लीन प्लांट सेंटर आएगा, उसके साथ-साथ प्राइवेट नर्सरी भी विकसित की जाएंगी और उन्हें भी सहायता देंगे ताकि अच्छी नर्सरियां बनें, प्लांट में क्लीन प्लांट बनाए जाएंगे, जो बैक्टीरिया, वायरस रहित रहेंगे और अच्छे पौधे किसानों को मिल पाएंगे।

पीएम-किसान सम्मान निधि का लाभ
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से वंचित उन किसानों, जिन्हें अधिकृत रूप से सरकार ने पट्टे दिए हैं, लेकिन उनके पास वैधानिक कागजात नहीं है, उनके बारे में भी हम चर्चा करके, जो सरकार की अनुमति से खेती कर रहे हैं, उन्हें पीएम-किसान सम्मान निधि का लाभ मिले, इस दिशा में हम काम करेंगे। बागवानी फसलों के कवरेज के लिए भी हम स्कीम जल्दी शुरू करेंगे, ताकि मैपिंग जो बागवानी की फसलों में होती है, वो ठीक ढंग से हो सके और किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिल सके।
उन्होंने कहा कि जम्मू क्षेत्र में ‘क्षेत्रीय बागवानी केंद्र’ की स्थापना की मांग हुई है। उसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यहां की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जम्मू को इंफ्रास्ट्रक्चर का सहयोग प्रदान करेगा।

शिवराज सिंह ने बताया कि वर्तमान में सीए स्टोरेज की सीमा 18 महीने है, जिसे बढ़ाकर ह 24 महीने करने का फैसला किया गया है। बागवानी मिशन में सब्सिडी 5 हजार मीट्रिक टन दी जाएगी, कई लोगों ने 6 हजार मीट्रिक टन क्षमता का निर्माण भी कर लिया तो भी निश्चित सीमा 5 हजार मीट्रिक टन तक उन्हें सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा।


केसर टिश्यू कल्चर लैब, नर्सरी
शिवराज सिंह ने कहा कि केसर यहां की विशेषता है, पहचान है, इसलिए टिश्यू कल्चर लैब, नर्सरी की स्थापना केंद्र सरकार यहां करेगी, जिससे उत्पादन बढ़ेगा। ‘राष्ट्रीय केसर मिशन’ में जम्मू कश्मीर की विशिष्टताओं को देखते हुए संशोधन की आवश्यकता है। उत्पादकता बढ़ाने और नुकसान कम करने के लिए हम वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीम का गठन करेंगे। मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता के इनपुट विनियमन के लिए क्वॉलिटी कंट्रोल लैब जरूरी है, इसलिए कठुआ, बारामुला, अनंतनाग में क्वॉलिटी कंट्रोल लैब स्थापित किए जाएंगे।

By Pooja Patel

प्रोड्यूसर एंड सब एडिटर डेली हिन्दी मिलाप हैदराबाद, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, भास्कर भूमि, राजस्थान पत्रिका में 14 वर्ष का कार्यानुभव

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