रायपुर- राजधानी रायपुर में धूमधाम से मनाया जा रहा है सोलापुरी उत्सव.यहा पर माता के विभिन्न रूपो की आराधना की जाएगी। डब्ल्यूआरएस कॉलोनी में श्री राम मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है भव्य पंडाल। जहां खड़कपुर आए पुजारी द्वारा की जाती है विधि-विधान से पूजा अर्चना।
हर दिन बढ़ता है माता आकार
यह Pratidin माता की नई प्रतिमा बनाई जाती है। हल्दी चंदन और कुमकुम से बनी है माता की प्रतिमा। 10 दिनो तक चलने वाले इस उत्सव में जैसे जैसे दिन बढ़ते जाते हैं वैसे ही माता का आकार भी बढ़ता जाता है। लकड़ी के बड़े ढाचे से प्रतिमा को प्रतिदिन बड़ा किया जाता है.माता को रोजाना हल्दी का लेप लगाकर किया जाता है श्रृंगार।
श्रद्धालुओ को बाटी जाती है हल्दी
माता पूजा में हल्दी का विशेष महत्व होता है। हल्दी से शोलापुरी माता को आकार दिया जाता है और हल्दी से ही माता का श्रृंगार किया जाता है। माता को लगने वाली हल्दी को रोजाना भक्तो मे प्रसाद स्वरूप वितरीत की जाटी है।इसे लोग अपने घर में पूजा के स्थान पर रखते हैं।ऐसी मान्यता है कि इसे घर पर रखने से सुख समृद्धि आती है,तथा घर के सदस्य स्वस्थ एवं निरोग रहते हैं।
बालपुजारी करते हैं विशेष पूजा
माता के 9 दिनों तक चलने वाली पूजा बालपुजारियों के द्वारा की जाती है। बालपुजारी उत्सव तक व्रत रख कर पंडाल में ही रुकते हैं। शरीर में हल्दी का लेप लगाकर माता की आराधना करते हैं।बालपुजारी माता को लगे भोग को ही ग्रहण करते हैं। यहा भोग बालपुजारियो कि मांताए ही बनाती है। पारंपरिक बाजे के साथ माता को भोग लगाया जाता है।
शीतला माता का ही रूप है सोलापुरी माता
ऐसी मान्यता है कि सोलापुरी माता शीतला माता का ही रूप है।माता ग्रिश्मकाल मे होने वाली बिमारियो लू, चेचक, ज्वर आदि से रक्षा करती है।देवी को अक्सर एक विवाहित महिला के रूप में दर्शाया जाता है जो हर साल अपने माता-पिता के घर जाती है और उनकी उपस्थिति को एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।

