एजेंसी। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल की दोपहर करीब 2:45 बजे एक दर्दनाक आतंकी हमला हुआ, जिसमें 27 लोगों की जान चली गई और 20 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना बैसरन घाटी में हुई, जहां लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने हमले की जिम्मेदारी ली है।

एजेंसियों के मुताबिक, इस हमले में चार आतंकी शामिल थे – जिनमें से दो विदेशी थे और दो स्थानीय। वहीं दूसरी ओर, उरी सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश कर रहे दो आतंकियों को भारतीय सेना ने मुठभेड़ में मार गिराया।

दो माह पहले ही हुई थी शादी, नाम पूछा और कलमा पढ़ने कहा

उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी शुभम द्विवेदी भी इस हमले में मारे गए। वह अपनी पत्नी के साथ हनीमून मनाने पहलगाम आए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकियों ने हमले से पहले पर्यटकों से उनका नाम पूछा और कलमा पढ़ने को कहा। जैसे ही शुभम ने अपना नाम बताया, आतंकियों ने उनके सिर में गोली मार दी। यह घटना उनकी पत्नी के सामने हुई, जो अभी भी सदमे में हैं। जिनकी 2 महीने पहले ही शादी हुई थी|

कई राज्यों के पर्यटक बने हमले का निशाना

उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के पर्यटक शामिल हैं। इसके अलावा नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के एक-एक नागरिक की भी जान गई है। दो स्थानीय लोग भी इस हमले का शिकार बने।

दहशत इतनी की सेना को भी नहीं पहचान पाए

हमले की सूचना के बाद जब भारतीय सेना के जवान बैसरन घाटी में पहुंचे, तो वहां मौजूद पर्यटकों ने उन्हें भी आतंकी समझ लिया। इसका कारण यह था कि हमले में शामिल आतंकी भी सेना जैसी वर्दी पहने हुए थे। डर के मारे महिलाएं और बच्चे रोते हुए हाथ जोड़कर जान की भीख मांगने लगे। बाद में जवानों ने खुद को भारतीय सेना का बताते हुए पर्यटकों को आश्वासन दिया और सुरक्षा का भरोसा दिलाया। इस पूरी घटना का एक वीडियो भी सामने आया है।

एक सप्ताह पहले ही हुई थी शादी, बनाया था हनीमून का प्लान

इस हमले में हरियाणा के विनय नरवाल की भी जान चली गई। वह हाल ही में (एक हफ्ते पहले ) शादी के बंधन में बंधे थे और अपनी पत्नी के साथ हनीमून मनाने कश्मीर आए थे। रिसेप्शन के बाद दोनों ने पहलगाम घूमने का प्लान बनाया था, लेकिन किसे पता था कि यह यात्रा उनकी प्रेम कहानी का अंतिम अध्याय बन जाएगी। हमले के बाद विनय का शव घाटी में पड़ा था और पास ही उनकी पत्नी पथराई आंखों से बैठी रही, मानो यह समझ नहीं पा रही थीं कि आखिर उनका कसूर क्या था।

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