नई दिल्ली(वाणिज्य मंत्रालय) अमेरिकी के राष्ट्रपति ने पारस्परिक शुल्क पर एक कार्यकारी आदेश जारी किया है, जिसके तहत सभी व्यापारिक साझेदारों से आयात पर 10 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक अतिरिक्त यथामूल्य शुल्क लगाया गया है। 10 प्रतिशत का आधारभूत शुल्क 5 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगा और शेष देश-विशिष्ट अतिरिक्त यथामूल्य शुल्क 9 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होगा। भारत पर कार्यकारी आदेश के अनुलग्नक के अनुसार, अतिरिक्त शुल्क 27 प्रतिशत लगाया गया है।
वाणिज्य विभाग का कहना है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा किए गए विभिन्न उपायों एवं घोषणाओं के प्रभावों की सावधानीपूर्वक जांच कर रही है। विकसित भारत के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, विभाग भारतीय उद्योग और निर्यातकों सहित सभी हितधारकों के साथ मिलकर अतिरिक्त शुल्क के बारे में उनके आकलन पर प्रतिक्रिया ले रही है और स्थिति का आकलन कर रही है। वाणिज्य विभाग अमेरिकी व्यापार नीति में इस नए घटनाक्रम के कारण उत्पन्न होने वाले अवसरों का भी अध्ययन कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 13 फरवरी 2025 को ‘मिशन 500’ की घोषणा की थी, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से भी अधिक बढ़ाकर 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर करना है। तदनुसार, पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते के शीघ्र समापन के लिए भारतीय और अमेरिकी व्यापार दलों के बीच विचार-विमर्श चल रहा है।
इसमें आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण को विस्तृत करने सहित आपसी हितों के कई मुद्दे शामिल हैं। वर्तमान में जारी वार्ता दोनों देशों को व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण बढ़ाने में सक्षम बनाने पर केंद्रित है। केंद्र सरकार इन मुद्दों पर ट्रम्प प्रशासन के संपर्क में हैं और आगामी दिनों में इनके समाधान के लिए आशान्वित है।
भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपनी व्यापक वैश्विक रणनीतिक भागीदारी को महत्व देता है। भारत 21वीं सदी के लिए भारत-अमेरिका सैन्य भागीदारी, त्वरित वाणिज्य और प्रौद्योगिकी के लिए अवसरों को बढ़ाने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे व्यापारिक संबंध आपसी समृद्धि का आधार बने रहें तथा भारत और अमेरिका के लोगों के लाभ के लिए परिवर्तनकारी बदलाव ला सकें।
