बीजापुर। रविवार को जवानों ने नक्सलियों की मांद में घुसकर उन्हें ढेर किया है। नक्सलियों तक पहुंचाने के लिए सुरक्षा बलों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा और करीबन उन्हें 50 किलोमीटर की दूरी भी पैदल चलकर पूरी करनी पड़ी थी। पहाड़ों पर छुप कर बैठे नक्सलियों को जवानों ने चारों ओर से घेर लिया और कार्रवाई शुरू की थी।

बता दें कि बीजापुर जिले के नेशनल पार्क क्षेत्र में महाराष्ट्र सीमा के पास छोटेकाकलेर व लोद्देड़ के पहाड़ी पर नक्सलियों के अस्थायी कैंप को ध्वस्त करते हुए सुरक्षा बल के जवानों ने एक बड़े अभियान में 31 नक्सलियों को मार गिराया, जिसमें 11 महिला व 20 पुरुष हार्डकोर नक्सली थे। रविवार को अभियान को पूरा करने फरसेगढ़, बेदरे, मद्देड की ओर से जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) व बस्तर फाइटर के लगभग एक हजार जवान शनिवार को निकले थे और पूरी रात चलकर जंगल के भीतर लगभग 50 किमी अंदर घुसे और यह अभियान पूरा किया।

मुठभेड़ स्थल फरसेगढ़ से लगभग 40 किमी दूर पहाड़ी पर था। जवानों ने चारों ओर से पहाड़ी को घेरकर इस अभियान को पूरा किया, जिससे नक्सलियों को भागने का अवसर नहीं मिला। इस अभियान को पूरा करते हुए डीआरजी बल का जवान नरेश ध्रुव व स्पेशल टास्क फोर्स का जवान वसित रावटे बलिदान हो गए। जवानों का मनोबल नहीं टूटा और वे लगातार प्रहार करते हुए एक के बाद एक नक्सलियों को ढेर करते गए। वायुसेना ने भी इसमें महत्वपूर्ण काम किया और घायल व बलिदानी जवानों को हेलीकाप्टर के माध्यम से आपरेशन के बीच सफलतापूर्वक निकाल ले आए।

भागने का नहीं मिला कोई मौका

नक्सली पहाड़ी पर छिपे हुए थे, पर डीआरजी बल की रणनीति के आगे नक्सली घिरकर मारे गए। बस्तर में नक्सलियों के विरुद्ध लड़ाई में मिल रही सफलता में जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के लड़ाकों को सबसे खतरनाक बल माना जाता है। रक्षा विशेषज्ञ डीआरजी को गुरिल्ला युद्ध में विश्व का सबसे कुशल बल मानते हैं।

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